
बस्ती। नानक नगर मे चल रही संगीतमयी श्रीमद्भागवत महापुराण की चतुर्थ दिवस पर व्यासपीठ से कथा का रसपान कराते हुए विद्याधर भारद्वाज महाराज ने पांचवे एवं छठवें स्कंद की कथा सुनाई। कथा का विस्तार करते हुए महाराज श्री ने कहा कि राजा परीक्षित ने सुखदेव से प्रश्न किया कि हे भगवन यदि किसी से छोटे मोटे अपराध अंजाने मे हो जाए तो उसका प्रायश्चित कैसे संभव होगा?
इस पर सुखदेव भगवान् ने बताया कि राजन! पंच यज्ञ के द्वारा ऐसे पापों से मुक्ति मिल सकती है और यदि यह भी संभव न हो तो केवल भगवान् श्री नारायण के नाम का स्मरण इस पाप से मुक्ति दे सकता है।
कथा के विस्तार के क्रम मे व्यास पीठ से महाराज श्री ने पृथ्वी के सप्त खण्ड और सप्त सागर की रचना का प्रसंग सुनाया और भगवान् ऋषभ देव के अवतार की कथा का विस्तार से वर्णन किया। व्यास पीठ से उन्होंने आगे फिर भगवान् आंत्रमाली के पावन चरित्र की कथा सुनाई।
कथा व्यास ने कहा कि भगवान् श्री नारायण देव दनुज और गृहस्थ को समभाव से देखते है। जो व्यक्ति अपनी गलती को पहचान कर उस को स्वीकार कर लेता है वही देवता है और जो जानबूझ का अपराध करता है और उसका तनिक प्रायश्चित भी नहीं करता है, राजन वही दैत्य है और समय आने पर उसे नरक जाना पड़ता है कथा मे उन्होंने अजामिल और प्रहलाद की कथा भी सुनाई।
इस दौरान मुख्य यजमान सुरेंद्र कुमार मिश्र एवं राजकुमारी मिश्र, सुनील कुमार मिश्र, अनिल मिश्र, नरेंद्र त्रिपाठी, गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष महेश कुमार शुक्ल, बैजनाथ मिश्र, सौरभ, अमित, सुधाकर पांडे, लालजी श्रीवास्तव ,राम गोपाल गुप्ता, घनश्याम श्रीवास्तव, राहुल, आलम चौधरी, बीडी पांडे त्रियुगी नारायण पांडे सहित अनेक भक्त मौजूद रहे।