
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सदी भारत की सदी है। पूरी दुनिया भारत का अनुसरण कर रही है और नया भारत आस्था का सम्मान करते हुए विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ-2025 का आयोजन दुनिया को सनातन धर्म के वास्तविक स्वरूप से परिचित कराने का एक सशक्त माध्यम साबित हुआ। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ सनातन धर्म के विराट स्वरूप की झलक थी, जिसमें दुनिया ने भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सामर्थ्य को नजदीक से देखा।
मुख्यमंत्री हिंदी साप्ताहिक ‘पाञ्चजन्य’ और अंग्रेजी साप्ताहिक ‘ऑर्गेनाइज़र’ द्वारा आयोजित ‘मंथन: महाकुंभ एंड बियॉन्ड’ कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का आयोजन भारत की हजारों वर्षों पुरानी परंपरा का हिस्सा है, जिसे इस बार आधुनिक सुविधाओं और डिजिटल तकनीक से जोड़ा गया। महाकुंभ में देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने आस्था की डुबकी लगाई और त्रिवेणी संगम के पुण्य स्नान का लाभ लिया। इस आयोजन ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार किया, जहां जाति, पंथ, संप्रदाय के भेदभाव से परे सभी लोगों ने एक साथ संगम में स्नान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म के प्रति श्रद्धा का भाव आवश्यक है, क्योंकि श्रद्धावान व्यक्ति को ही सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 के कुम्भ को स्वच्छता के लिए जाना गया था, जबकि 2025 के महाकुंभ को डिजिटल और सुरक्षित कुम्भ के रूप में आयोजित किया गया। इस आयोजन में डिजिटल खोया-पाया केंद्र की मदद से 54 हजार से अधिक लोग अपनों से मिले। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 1.5 लाख शौचालयों को बारकोड से जोड़ा गया था और भाषिणी ऐप के माध्यम से 11 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में महाकुंभ की जानकारी उपलब्ध कराई गई।
महाकुंभ के दौरान 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना थी, जिसमें प्रथम तीन अमृत स्नानों में 3.5 से 5 करोड़ और अन्य स्नानों में 1 से 2 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद थी। पौष पूर्णिमा के दिन 1 करोड़, मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ और मौनी अमावस्या पर 15 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इस 45 दिवसीय आयोजन में कुल 66 करोड़ 30 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन बना दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में यूनेस्को ने प्रयागराज कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया था। इस बार भी महाकुंभ में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें भूटान के नरेश ने भी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने 2019 के कुंभ में 400 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भाग लिया था, और इस बार भी भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर सम्मान मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने आस्था को अर्थव्यवस्था से जोड़ते हुए प्रयागराज के विकास को आगे बढ़ाने का कार्य किया। इस प्राचीन नगरी में महर्षि भारद्वाज कॉरिडोर, अक्षयवट कॉरिडोर, बड़ा हनुमान मंदिर कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर, श्रृंगवेरपुर कॉरिडोर और नागवासुकी कॉरिडोर का निर्माण किया गया, जिससे तीर्थयात्रियों को सुगम दर्शन की सुविधा मिल रही है।
उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र अत्यंत परिपक्व है। देश की जनता त्रिवेणी संगम के महत्व को भली-भांति जानती है। उन्होंने गंगा नदी की शुद्धता का उल्लेख करते हुए कहा कि कानपुर में सीसामऊ नाले से प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवेज गंगा में गिरता था, जिसे नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से पूरी तरह बंद कर दिया गया। डबल इंजन सरकार ने सीसामऊ को सेल्फी प्वाइंट में बदलने का कार्य किया, जो आज स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण बन चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी 2024 में प्रभु श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए, जनवरी 2025 में प्रयागराज में भव्य महाकुंभ का आयोजन हुआ और आने वाले समय में अनेक ऐतिहासिक कार्य देखने को मिलेंगे। सम्भल में 68 प्राचीन तीर्थों में से 18 तीर्थों का पता लगाया जा चुका है और 19 कूपों के उत्खनन का कार्य चल रहा है। 56 वर्षों के बाद पहली बार सम्भल में शिव मंदिर में जलाभिषेक हुआ। सरकार ने इस बार के बजट में मथुरा-वृंदावन के विकास के लिए विशेष धनराशि आवंटित की है, जिससे वहां धार्मिक पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, ‘पाञ्चजन्य’ के संपादक हितेश शंकर, ‘ऑर्गेनाइजर’ के संपादक प्रफुल्ल केतकर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।