
अहरौला (आजमगढ़)। अहरौला क्षेत्र के बेन्दुई गांव के रहने वाले शैलेन्द्र प्रजापति पुत्र बालकिशुन सहित गांव के 17 लोगों ने गांव की सार्वजनिक पोखरी पर अवैध कब्जा किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि कुछ लोगों ने पोखरी को पाटकर शौचालय, पशुशाला और स्टोर रूम बना लिया है, जिससे ग्रामीणों के घरों का पानी निकास अवरुद्ध हो गया है और बरसात में घरों में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो रही है।
ग्रामीणों ने पहले तहसील और जिला प्रशासन से शिकायत की, लेकिन जब कोई समाधान नहीं निकला, तो वे हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे। सुनवाई के बाद वर्ष 2022 में हाईकोर्ट ने बूढ़नपुर तहसील प्रशासन को तत्काल कब्जा हटाने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया था। लेकिन प्रशासनिक निष्क्रियता के चलते कार्रवाई नहीं हुई।
इसके बाद शैलेन्द्र प्रजापति ने अवमानना याचिका दायर की। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की पीठ ने तहसीलदार बूढ़नपुर को व्यक्तिगत रूप से हलफनामे के साथ तलब किया और कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि अवैध कब्जा तुरंत हटाया जाए।
रविवार को तहसील प्रशासन हरकत में आया। तहसीलदार शिवप्रकाश सरोज, राजस्व निरीक्षक राजाराम, लेखपाल नीरज तिवारी, अरविंद तिवारी, अरविंद सोनकर, राकेश यादव, कुनर राम, मधुराज, तथा थानाध्यक्ष अहरौला अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल और बुलडोजर के साथ गांव पहुंचे। इस कार्यवाही से गांव में हड़कंप मच गया। करीब तीन घंटे चली कार्रवाई में श्रीनाथ सिंह, रामअचल प्रजापति, गयादीन प्रजापति, श्रीराम प्रजापति, हरिश्चंद्र सहित अन्य लोगों द्वारा साढ़े सात बिस्वा भूमि पर किए गए अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया।