
बस्ती। बस्ती के बाबा गम्भीरनाथ ऑडिटोरियम (अटल बिहारी बाजपेयी प्रेक्षागृह) में आयोजित मत्स्यपालक मेला एवं मछुआ समाज सशक्तिकरण सम्मेलन में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने मछुआ समाज को संबोधित करते हुए कहा कि यह समुदाय अब केवल वोट नहीं देगा, बल्कि नीति निर्धारण में सक्रिय भूमिका निभाएगा।




उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी की स्थापना कोई संयोग नहीं बल्कि समाज के संघर्षों की परिणति है। आज केंद्र व राज्य दोनों में एनडीए की सरकार मछुआ समाज को केवल गरीब नहीं, बल्कि सम्मानित नागरिक के रूप में देख रही है।
नीतियों से ज़मीन पर बदलाव
डॉ. निषाद ने बताया कि सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाएं मछुआ समाज के आर्थिक और सामाजिक जीवन में परिवर्तन ला रही हैं:
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत नाव, जाल, कोल्ड स्टोरेज और मत्स्य परिवहन हेतु आर्थिक सहायता दी जा रही है।
- मुख्यमंत्री मत्स्य योजना के अंतर्गत उपकरण, बीज और आहार पर 40–60% तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
- जीवित मत्स्य परिवहन अनुदान योजना से ताजी मछली समय पर बाजार तक पहुँच रही है।
- ब्याज मुक्त ऋण योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, और निषाद राज बोट योजना जैसे कदम समाज को आत्मनिर्भर बना रहे हैं।
- दुर्घटना बीमा योजना के तहत मृत्यु या विकलांगता की स्थिति में ₹5 लाख तक की सहायता मिल रही है।
जातीय जनगणना और SC श्रेणी में शामिल होने की माँग
डॉ. संजय निषाद ने जोर देकर कहा कि जातीय जनगणना महज आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि हक़ और प्रतिनिधित्व की नींव है। उन्होंने मांग की कि मझवार, तुरैहा, तारमाली, पासी समेत 17 मछुआ उपजातियों को अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र तत्काल जारी किया जाए।
उन्होंने संवैधानिक तथ्यों का हवाला देते हुए बताया:
- 1961 की जनगणना मैन्युअल और उत्तराखंड शासनादेश के अनुसार ये जातियाँ अनुसूचित जाति में परिभाषित हैं।
- 31 दिसंबर 2016 की राज्यपाल अधिसूचना के तहत इन्हें OBC से हटाकर SC में शामिल किया जाना चाहिए।
- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर SC कोटे में वृद्धि होनी चाहिए – 27% OBC में से 9% हटाकर SC को दिया जाए।
विरोधियों और अफसरशाही पर निशाना
डॉ. निषाद ने कुछ अफसरों और सपा-बसपा एजेंटों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग मुख्यमंत्री की “विकास पुरुष” छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं और मछुआ समाज के संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।
योगी सरकार की संवेदनशीलता का उल्लेख
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 7 जून 2015 के रेल आंदोलन के समय मछुआ समाज के आरक्षण के समर्थन में दिए गए योगदान की सराहना करते हुए कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट है — समाज को मुख्यधारा में लाना।
प्रमुख माँगें
- 17 मछुआ उपजातियों को SC प्रमाणपत्र तत्काल जारी किया जाए।
- उन्हें OBC सूची से हटाकर SC श्रेणी में सम्मिलित करने का आदेश जारी हो।
- R.G.I. द्वारा स्पष्टता के बावजूद बाधा डालने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
- भाजपा का “मछुआ विज़न डॉक्युमेंट” नीति रूप में लागू किया जाए।
- मत्स्य योजनाओं में अनुदान विसंगतियों को दूर किया जाए ताकि उत्तर प्रदेश के मछुआरे भी अन्य राज्यों की तरह पूर्ण लाभ पा सकें।
संघर्ष से नेतृत्व की ओर
अंत में डॉ. निषाद ने कहा कि यह कार्यक्रम एक सामाजिक क्रांति का पड़ाव है। अब मछुआ समाज अपने अधिकारों को लेकर जागरूक होगा, नीति बनाएगा, और नेतृत्व करेगा। यह यात्रा अभी अधूरी है — अब समय एक नए सामाजिक आंदोलन का है।