बस्ती। जे.ई./ए.ई.एस. रोग की रोकथाम हेतु विशेष संचारी रोग नियंत्रण पखवाड़ा के अन्तर्गत चूहा एवं छछूंदर नियंत्रण अभियान 31 अक्टूॅबर 2024 तक चलेगा। उक्त जानकारी देते हुए कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने बताया कि कृषको द्वारा खेतों/फसल क्षेत्रों में साप्ताहिक कार्यक्रम चलाकर चूहों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
उन्होने बताया कि प्रथम दिन-क्षेत्र भ्रमण एवं कार्यस्थल की पहचान करना, द्वितीय-खेत/क्षेत्र का निरीक्षण एवं बिलों को बन्द करते हुए चिन्हित कर झण्डे लगायें, तृतीय- खेत/क्षेत्र का निरीक्षण कर, जो बिल बन्द हो वहा झण्डे हटा दे, जहॉ पर बिल खुले पाये वहॉ पर झण्डा लगे रहने दे। खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एवं 48भाग भुना चना/गेहूॅ/चावल आदि से बने चारे को बिना जहर मिलाये बिल में रखें।
इसी प्रकार चौथा दिन-बिलों का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रखे, पॉचवा- जिंक फास्फाईड 80 प्रतिशत की 1 ग्राम मात्रा को 01 ग्राम सरसों तेल व 48भाग भुना चना/गेहूॅ आदि से बने चारे को बिल में रखें, छठवां-बिलों का निरीक्षण करें तथा मरे चूहों को एकत्र कर जमीन में गाड दें तथा सातवा-बिलों को पुनः बंद कर दें। अगले दिन यदि बिल खुले पाये जाए तो कार्यक्रम पुनः अपनायें।
उन्होने बताया कि कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु कृषि विभाग के समस्त कर्मचारियों-ए.टी.एम., बी.टी.एम., प्रविधिक सहायक आदि के द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर गावों में जा कर गोष्ठी, चौपाल अथवा कृषको से व्यक्तिगत सम्पर्क कर उन्हें जागरूक किया जाएगा तथा स्वंय सेवी संगठनों, सहायता समूहों, किसान क्लबों, कृषि तकनीकी प्रबंध अभिकरण बीज, उर्वरक/रसायन विक्रेता इफको सहकारिता का सहयोग प्राप्त किया जायेंगा।
उन्होने यह भी बताया कि मच्छर विभिन्न प्रकार के रोगों-ए.ई.एस./जे.ई., डेंगू, मलेरिया आदि के वेक्टर (वाहक) के रूप में कार्य करते है। मच्छरों को कुुछ विशेष पौधे जैसे-गेंदा, गुलदाउदी, सिट्रोनेला, रोजमैरी, तुलसी, लेवेन्डर एवं जिरैनियम को घर के आस-पास लगाकर खतरनाक मच्छरों से नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होने बताया कि इनमें से कुछ प्रजातियों द्वारा तो ऐसे रासायनिक तत्व मुक्त किये जाते है, जो मच्छरों की प्रजनन क्षमता ही समाप्त कर देते है। ———