
हेट स्पीच मामले में दोषसिद्धि के बाद विधानसभा सचिवालय का बड़ा निर्णय
लखनऊ/मऊ।
उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी है। यह फैसला हेट स्पीच मामले में कोर्ट द्वारा दो वर्ष की सजा सुनाए जाने के बाद लिया गया।
बता दें कि शनिवार को मऊ कोर्ट ने हेट स्पीच केस में सजा का ऐलान किया। इसमें सदर विधायक अब्बास अंसारी और उसके चाचा मंसूर अंसारी को दोषी करार दिया गया। कोर्ट ने अब्बास अंसारी को दो साल और मंसूर अंसारी को मामले में छह माह की सजा सुनाई। उन पर 11 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।
विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अब्बास अंसारी की सदस्यता 31 मई 2025 से समाप्त मानी गई है।
अब्बास अंसारी, माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के पुत्र हैं। वे वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मऊ सदर सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। हालांकि, उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों और हाल ही में हेट स्पीच मामले में दोष सिद्ध होने के चलते विधानसभा सचिवालय ने संविधान के प्रावधानों के अंतर्गत उनकी सदस्यता समाप्त करने का निर्णय लिया।
विधानसभा सचिवालय ने निर्वाचन आयोग को मऊ विधानसभा सीट के रिक्त होने की जानकारी भेज दी है। इसके साथ ही उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न सिर्फ मऊ की सियासत बल्कि पूर्वांचल की राजनीति पर भी असर डालेगा। विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेगा, जबकि सत्ताधारी दल इस निर्णय को “कानून का राज” स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताएगा।
क्या कहते हैं नियम?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कोई भी विधायक यदि दो वर्ष या उससे अधिक की सजा पाए, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। इसी प्रावधान के तहत अब्बास अंसारी को अयोग्य घोषित किया गया।
राजनीतिक हलचल तेज
अब मऊ सीट पर उपचुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। सभी प्रमुख दलों ने संभावित प्रत्याशियों की खोज और रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। यह उपचुनाव पूर्वांचल की राजनीतिक दशा और दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।