
हरिद्वार से शैलेंद्र कुमार की रिपोर्ट।
हरिद्वार (उत्तराखंड)। मनसा देवी रोपवे के संचालन के लिए जारी निविदा टेंडर को हरिद्वार नगर निगम को आखिर वापस लेना पड़ा। नैनीताल हाई कोर्ट की डबल बेंच ने इस टेंडर प्रक्रिया में अनुभवहीन कंपनियों को शामिल करने पर कड़ी नाराजगी जताई थी, इसके बाद नगर निगम अपनी पैरवी से पीछे हट गया।
हाई कोर्ट इसे मानव जिंदगी से खिलवाड़ बताते हुए सख्त टिप्पणी की थी और निगम को फटकार लगाई थी, जिससे अब यह माना जा रहा है कि जल्द ही नए सिरे से टेंडर जारी किया जाएगा।
गौरतलब है कि नगर निगम ने 44 साल पुराने इस रोपवे के संचालक के लिए निविदा आमंत्रित की थी। पूर्व में केवल रोपवे संचालन का अनुभव रखने वाली कंपनियों को ही टेंडर में बुलाया जाता था, लेकिन इस बार सड़क बनाने वाली कंपनियों को भी शामिल कर लिया गया था, जिस पर विवाद खड़ा हो गया था। लगभग 44 वर्षों से मनसा देवी रोपवे का संचालन कर रही कंपनी उषा ब्रेको ने अपने निर्विवाद और सुरक्षित संचालन का दावा करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और आलोक माहरा की डबल बेंच ने 17 अप्रैल 2025 को सुनवाई के दौरान टेंडर में अनुभवहीन कंपनियों को शामिल करने पर गहरी आपत्ति जताई। न्यायालय ने वादी उषा ब्रेक कंपनी के अधिवक्ताओं की बात सुनने के बाद यह माना कि जिस तरह से अनुभव संबंधी शर्तों को कमजोर किया गया है और बिना किसी अनुभव के कंपनी को टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने दिया जा रहा है, वह चौंकाने वाला है।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा, यह सर्व विदित है कि रोपवे मनुष्यों के परिवहन के नाजुक तरीके हैं।जिस तरीके से मानव जीवन को खतरे में डालने की कोशिश की जाती है, वह कुछ ऐसे हैं। जिस पर यह न्यायालय आंखें मूंद नहीं सकता। हाई कोर्ट की फटकार के बाद मनसा देवी रोपवे के संचालन का टेंडर नगर निगम ने वापस ले लिया।