
•शेरी नशिस्त में शायरों ने उम्दा कलाम पेश कर खूब दाद हासिल की
•एक लड़की फीदा चांद पर हो गई, बैठे बैठे उसे रात भर हो गई……
रिपोर्ट : अभिनव अग्रवाल।
नजीबाबाद। बज़्म-ए-जिगर नजीबाबाद की ओर से मशहूर शायर मौसूफ अहमद वासिफ के नाम से जश्न ए सोज़ व महफिल ए मुशायरे का आयोजन किया गया। इस मौके पर शायरो ने उम्दा कलाम पेश कर खूब दाद हासिल की।
नगर के मौहल्ला रमपुरा में काफी दिनों से बीमार चल रहे मशहूर उस्ताद शायर मौसूफ अहमद वासिफ की सेहत में सुधार होने पर बज़्म-ए-जिगर नजीबाबाद की ओर से जश्न ए सेहत मौसूफ अहमद वासिफ व महफिल ए मुशायरे का आयोजन शाम 6 बजे किया गया।
इस मौके पर शेरी नशिस्त से पहले सभी शायरो ने शायर मौसूफ अहमद वासिफ के लिए अल्लाह से उनकी सेहतमंदी की दुआ की। इस मौके पर उस्ताद बुजुर्ग शायर डाक्टर रईस भारती ने कहा कि मौसूफ अहमद वासिफ जहां एक बाकमाल शायर है वही बेहद गरीब परवर भी है। वो हमेशा मजबूर और जरूरत मंदो की मदद को आगे रहते हैं।
इस मौके पर महफिल ए मुशायरे का आगाज तरन्नुम के बेहतरीन शायर अकरम जलालाबादी ने हम्द ए पाक से कुछ यूं किया…..कही चांद तारो में है चमक, कही पे जलवा ए तूर है, ये शजल हजल ये बहार ए गुल, तेरा जर्र जर्र में नूर है।
शायर सूफीयान मुल्तानी ने कहा ….. रब के इस खजाने में और भी करिश्मे है, सिर्फ इस समंदर में मछलियाँ नही होती।
शायर आसिफ मिर्ज़ा ने कहा…..ज़रा ठहर के तबीअत मेरी सुधर जाये, दवा मरीज़ को इतनी न दे के मर जाये। शायर उबैद नजीबाबादी ने कहा …..हमारे जख्म भर जायेंगें यार आहिस्ता आहिस्ता, खिजा़ पर जैसे आती है बहार आहिस्ता आहिस्ता।
सहाफी और शायर शादाब जफर शादाब ने कहा….जब कभी इश्क पे संवाद करेगी दुनियां, हा मेरे अज़्म को बुनियाद करेगी दुनियां। नगर के मशहूर शायर डाक्टर तैय्यब जमाल ने कहा….. अजब ये इश्क़ में आशिक का हाल ए जा़र होता है, ज़रा सी देर में शिकवा घड़ी में प्यार होता है। जलालाबाद से आये उम्दा तरन्नुम के मालिक शायर अकरम जलालाबादी ने कहा….. प्यार जब पहली बार होता है, वो समा पुरबहार होता है।
शायर मौसूफ अहमद वासिफ ने गजल के दौर में पढा… एक लड़की फीदा चांद पर हो गई। बैठे बैठे उसे रात भर हो गई। शेरी नशिस्त की सदारत कर रहे उस्ताद शायर डाक्टर रईस अहमद भारती ने कहा…..छाव मैं बैठ के कुछ देर सुस्ताले गरीब, दिल के विराने में वो पेड़ ऊगा दो यारों।
शेरी नशिस्त में नसीम खां, जुबैर खां, मोनिस खां, फैसल खां, अब्दुल तालिब आदि सामइन मौजूद रहे।
शेरी नशिस्त की अध्यक्षता डाक्टर रईस अहमद भारती ने की व संचालन आसिफ मिर्ज़ा ने किया।