
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधानसभा में विपक्ष के अराजकतापूर्ण रवैये और हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित होने को प्रदेश के लिए “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नेता सदन और पूरी सरकार विपक्ष के सवालों के तर्कपूर्ण उत्तर देने के लिए सदन में मौजूद थे, लेकिन गैर-जिम्मेदाराना और अलोकतांत्रिक व्यवहार के चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
श्री खन्ना ने कहा कि विपक्ष की यह कार्यशैली जनहित और प्रदेश के विकास में बाधा डालती है। बेवजह एवं अनुपयोगी मुद्दे उठाकर सदन न चलने देना न्यायोचित नहीं है। योगी सरकार पिछले आठ वर्षों से प्रदेश के सर्वांगीण विकास और जनता की खुशहाली के लिए कार्य कर रही है, जिसका लाभ सीधे जनता को मिल रहा है।
उन्होंने विपक्ष को नसीहत दी कि अपने कार्यकाल के दौरान जनता के उत्पीड़न और विकास कार्यों की अनदेखी पर आत्मचिंतन करें, बजाय वर्तमान सरकार पर सवाल उठाने के।मंत्री खन्ना ने विपक्ष पर यह आरोप भी लगाया कि उन्होंने सदन के इतिहास में पहली बार शोक प्रस्ताव के समय की परंपरा का पालन नहीं किया और अव्यवस्था फैलाने का “अशोभनीय” कार्य किया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष के प्रश्नों का उत्तर दिया और कार्य रोको प्रस्ताव पर चर्चा के लिए भी विपक्ष से सहयोग की अपेक्षा की गई, लेकिन उन्होंने सदन नहीं चलने दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के संकल्प का उल्लेख करते हुए श्री खन्ना ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार 2047 तक उत्तर प्रदेश को विकसित और आत्मनिर्भर राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य के लिए विकास का विज़न डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है और 13 अगस्त से सदन में इस पर 24 घंटे की विशेष चर्चा प्रस्तावित है।