
•कर्ज के जाल में फंसे गरीब, सूदखोरों के मानसिक और आर्थिक शोषण के शिकार हैं गरीब।
बल्दीराय/सुल्तानपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में सूदखोरों की बल्ले-बल्ले हो गई है। सरकारी बैंक होने के बावजूद गांवों में ये अवैध साहूकार गरीब और जरूरतमंदों को अपनी क्रूर शर्तों पर कर्ज देकर उन्हें बर्बादी के दलदल में धकेल रहे हैं। ये लोग जरूरतमंदों से 5% से 10% तक मासिक ब्याज वसूल रहे हैं, जो कि पूरी तरह अवैध है और ‘मनी लेंडर्स एक्ट’ के तहत स्पष्ट रूप से दंडनीय अपराध है।
सूदखोरों के मक्कारी और ठगी के शिकार गरीब, समय पर किश्त न चुका पाने पर जमीन और जेवर भी गंवा देते हैं। सूदखोर मानसिक प्रताड़ना की हदें पार कर देते हैं। कई मामलों में तो गरीबों ने आत्महत्या तक कर ली, लेकिन दोषियों के खिलाफ न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही प्रशासन ने सुध ली। यह एक ऐसा जटिल समस्या है जिसमें किसान/गरीब व्यक्ति जब सूदखोर महाजन के मकड़जाल में फंस जाता है तो ब्याज पर ब्याज का कर्ज उतारते वह बर्बाद हो जाता है। जबकि अनैतिक ब्याज कानूनन अपराध है। जिसे शासन व प्रशासन में बैठे जिम्मेदार भी इससे अनभिज्ञ नहीं है। अवैध ब्याजखोरों के प्रति प्रशासन और शासन की चुप्पी इस गैरकानूनी धंधे को बढ़ावा दे रही है।
बल्दीराय तहसील ही नहीं पूरे जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में ,सूदखोरों का मकड़जाल मजबूती से फैला हुआ है। ब्याजखोरों के राजनैतिक और व्यक्तिगत प्रभाव के चलते प्रशासन की चुप्पी ,इस धंधे को और बढ़ावा दे रहे हैं। यदि अब भी शासन जाग जाता है और अवैध सूदखोरों की पहचान करके, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे तो गरीब लोगों को न्याय मिलेगा तो वहीं सरकार की ऐसे अपराधियों और अपराध पर शिकंजा कसने से पीड़ित लोग अनुचित प्रताड़ना से बच जाएंगे।