नई दिल्ली। मोटर व्हीकल टैक्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और स्पष्ट फैसला सुनाया है, जिससे लाखों वाहन मालिकों को राहत मिल सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति अपने वाहन का इस्तेमाल सड़क, हाईवे या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर नहीं कर रहा है, तो वह मोटर व्हीकल टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं है।
जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने यह फैसला राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) से जुड़े एक मामले पर सुनाया है। आरआईएनएल ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के दिसंबर 2024 के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी। दरअसल, आरआईएनएल के अपने एक बंद परिसर (कैंपस) के अंदर करीब 36 वाहन चलते हैं, जो कभी भी सार्वजनिक सड़कों पर नहीं आते।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, मोटर वाहन टैक्स देना अनिवार्य है, लेकिन यह उन लोगों के लिए है जो सड़क और हाईवे जैसे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल करते हैं।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरआईएनएल का परिसर चारों तरफ से बंद है और यह एक निजी संपत्ति है, कोई सार्वजनिक स्थान नहीं। इसलिए, कैंपस के अंदर चलने वाले वाहनों पर मोटर वाहन टैक्स नहीं लगाया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें राज्य सरकार को आरआईएनएल से टैक्स के रूप में वसूले गए 22,71,700 रुपये वापस करने का आदेश दिया गया था। इस फैसले से यह साफ हो गया है कि केवल उन वाहनों पर ही टैक्स वसूला जा सकता है, जो पब्लिक प्लेस में इस्तेमाल होते हैं। यह फैसला बड़ी औद्योगिक इकाइयों, माइंस और निजी टाउनशिप के लिए एक नजीर बनेगा।
