
लखनऊ/गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज की 56वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 11वीं पुण्यतिथि साप्ताहिक समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान की सराहना की।


मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ हमेशा योजक की भूमिका में रहे और समाज तथा राष्ट्र को दिशा प्रदान की। उनके जीवन का प्रत्येक क्षण देश और धर्म के लिए समर्पित था। उन्होंने संतों के संकल्प, पवित्रता और दृढ़ता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जब सच्चा संत कोई संकल्प लेता है तो उसके सकारात्मक परिणाम अवश्य आते हैं। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के संबंध में भी उनके दृढ़ संकल्प और संघर्ष का परिणाम आज पूरी दुनिया के सामने है।
मुख्यमंत्री ने महंत दिग्विजयनाथ के जन्म और योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि महंत दिग्विजयनाथ मेवाड़ की उस परंपरा से आए थे, जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं के सामने कभी समर्पण नहीं किया। गोरखपुर में उन्होंने धर्म के अभ्युदय के साथ समाज और राष्ट्र के लिए शिक्षा और सेवा को भी महत्व दिया। उन्होंने गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण किया और इसे सनातन परंपरा के वैभवशाली मंदिर के रूप में स्थापित किया।
महंत दिग्विजयनाथ ने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1932 में उन्होंने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की और गोरखपुर में विश्वविद्यालय स्थापित करने का संकल्प लिया। बालिका शिक्षा के लिए विशेष प्रयास किए और बालिका विद्यालय की स्थापना कर शिक्षा का दायरा व्यापक किया।
मुख्यमंत्री ने महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संकल्प और संघर्ष पूरी तरह सफल हुआ। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के उद्घोष को भारत और भारतीयता का मंत्र बताते हुए कहा कि हर भारतीय को इस संकल्प से जुड़ना चाहिए।गोरक्षपीठ में पूज्य आचार्यों की स्मृति में साप्ताहिक आयोजन पीठ की परंपरा का हिस्सा है। मंदिर और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थानों में भी उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की गई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आचार्य ओंकारनाथ सिंह की पुस्तक ‘भारतीय संस्कृति की आत्मसाती प्रकृति’ और महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर की वार्षिक पत्रिका ‘विमर्श’ का विमोचन किया। समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से संत-महंत, शिक्षाविद् और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ जैसे युगपुरुषों की जीवनशैली और योगदान वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका संदेश धर्म, समाज और राष्ट्र की सेवा में समर्पित जीवन जीने का है।