
बल्दीराय/सुल्तानपुर। ग्रामसभा सिंघनी में विकास कार्यों में हुए भारी भ्रष्टाचार की शिकायत पर खबर पर आखिरकार जिला प्रशासन को हरकत में आना पड़ा। मंगलवार को जिला कृषि अधिकारी स्वयं मौके पर पहुंचे और ग्रामसभा निवासी प्रवीण सिंह की ओर से लगाए गए सात बिंदुओं की जांच शुरू की। यह मामला उस समय गंभीर हो गया जब जांच के दौरान ग्रामसभा के सेक्रेटरी प्रदीप सिंह जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने और अधिकारी को भ्रमित करने का प्रयास करते देखे गए।
हालांकि शिकायतकर्ता प्रवीण सिंह और अन्य ग्रामीणों की मौजूदगी ने जांच को निष्पक्ष बनाए रखा। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्रामसभा में हुए विकास कार्य केवल कागजों पर पूरे दिखाए गए हैं। करोड़ों की सरकारी राशि का बंदरबांट कर लिया गया, जबकि जमीनी हकीकत में अधिकांश कार्य अधूरे और निम्नस्तरीय हैं।
शिकायत के अनुसार, सरकारी धन की लूट से न केवल ग्रामसभा बल्कि सरकार की जनकल्याण योजनाओं की साख को भी गहरी चोट पहुंचाई गई है। जांच अधिकारी द्वारा यदि सभी बिंदुओं की निष्पक्ष जांच की जाती है तो करोड़ों के घोटाले की परतें खुलना तय है।
ग्रामीणों का कहना है कि अब यह देखना होगा कि जांच अधिकारी निष्पक्ष रहकर सच्चाई उजागर करते हैं या फिर “सेटिंग-गेटिंग“ और प्रभाव में आकर लीपापोती कर देते हैं। भ्रष्टाचार के इस काले खेल ने सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। जनता की निगाहें अब प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस मामले में कितना पारदर्शी रुख अपनाता है। यदि ईमानदारी से कार्रवाई हुई तो कई जिम्मेदारों पर गाज गिरना तय है और ग्रामसभा सिंघनी में वर्षों से चल रही भ्रष्टाचार की जड़ें उखड़ सकती हैं।