
प्रयागराज। प्रदेश में गुणवत्ता युक्त पान प्रोत्साहन की योजना अंतर्गत औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरोबाग प्रयागराज में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्ति माननीय न्यायाधीश सुरेंद्र सिंह जी द्वारा उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि पौधे का श्रृंगार उसका पुष्प होता है। पौधों को इस धरा पर लगाकर धारा का सिंगार किया जाता है तथा पौधे में निकलने वाले पुष्प उसे पौधे का श्रृंगार होते हैं।
इसके अलावा माननीय न्यायमूर्ति द्वारा पान उत्पादन करने वाले कृषकों को सलाह दी गई की पान पत्तों के बाजार को देख कर ही उन्हीं प्रजातियां के पान की खेती करें जिनकी मांग बाजार में अधिक हो और कीमत अच्छी मिले।
तकनीकी सत्र में प्रसार निदेशालय कृषि विश्वविद्यालय नैनी के वैज्ञानिक डॉ शैलेंद्र कुमार सिंह द्वारा पान बरेजा के निर्माण तथा उसमें प्रयोग होने वाले संसाधनों पर चर्चा करते हुए कहा गया कि पान की फसल को लगाने से पूर्व भूमि का शोधन बोर्ड मिश्रण से करना आवश्यक है। जिससे कि पान में लगने वाले रोगों से बचाव किया जा सके।
कीट विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ अनुराग तायडे द्वारा पान में लगने वाले प्रमुख कीटों की पहचान तथा उनके नियंत्रण के उपाय की जानकारी देते हुए बताया गया कि पान की फसल में सफेद मक्खी एवं मिली बैग कीट का प्रकोप अधिक होता है। इसके नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का एक निश्चित अनुपात पर प्रयोग करना चाहिए इसके अलावा नीम की खली का अर्थ अथवा नीम के तेल का प्रयोग लाभदायक होता है।
डॉ. सर्वेंद्र कुमार द्वारा पान की फसल से अधिक उत्पादन लेने वाले बिंदुओं पर चर्चा की गई। डॉ. सर्वेंद्र कुमार द्वारा पान की फसल में ट्राइकोडर्मा के प्रयोग तथा रोग नियंत्रण की जानकारी दी गई।
इसके अलावा जिला उद्यान अधिकारी प्रयागराज के प्रतिनिधि लालजी पाल एवं मोहम्मद अयाज सिद्दीकी आदि द्वारा तकनीकी जानकारी दी गई कार्यक्रम का संचालन औद्योगिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र के प्रशिक्षण प्रभारी वी के सिंह द्वारा किया गया।