
•दो डीएम व एक एसडीएम भी जांच दायरे में
•आरटीआई कार्यकर्ता रामानंद मिश्रा की पहल पर हुआ खुलासा।
सुल्तानपुर। जनपद में शासन की आंखों के सामने ही नियमों की धज्जियाँ उड़ती दिख रही हैं। तहसील सदर क्षेत्र में बिना मानचित्र स्वीकृति के लेखपाल संघ भवन का निर्माण कर लिया गया। हैरानी की बात यह है कि यह पूरा निर्माण मानचित्र विभाग के मुखिया और अफसरों की नाक के नीचे हुआ, लेकिन किसी ने भी इसे रोकने की जहमत नहीं उठाई।
सूत्रों के अनुसार, यह निर्माण कार्य लंबे समय से चल रहा था और विभागीय अधिकारियों की जानकारी में भी था। फिर भी मानचित्र विभाग के अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। स्थानीय लोग इसे “कमाऊ पूतों” की करतूत बता रहे हैं, जबकि विभागीय अफसरों की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं।
लेखपाल संघ के अध्यक्ष राधेश्याम शुक्ला से जब इस संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि “संघ कार्यालय में मानचित्र स्वीकृति से जुड़े कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं।
वहीं, संघ के पूर्व मंत्री राजेश श्रीवास्तव ने मानचित्र स्वीकृति के सवाल पर कहा कि डीएम के संज्ञान में है। विनियमित क्षेत्र के अवर अभियंता उमेश चंद्र ने पुष्टि की कि विभाग के अभिलेखों में लेखपाल संघ भवन से जुड़ी कोई फाइल उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने इस बारे में एसडीएम सदर को सूचित कर दिया है कि भवन निर्माण के लिए कोई मानचित्र पास नहीं है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि आम जनता के मकान या दुकान के निर्माण में विभाग नोटिस थमा देता है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के भवन पर प्रशासन आंखें मूंद लेता है। लोगों ने शासन से मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
सुल्तानपुर में तहसील सदर स्थित यह मामला इस बात का प्रतीक बन गया है कि कैसे नियम केवल आम नागरिकों के लिए सख्त हैं, जबकि सरकारी कर्मचारी मनमानी करने में पीछे नहीं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस “बिना नक्शे के बने भवन” पर क्या कदम उठाता है।