
मथुरा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के 11 सदस्यों के सामने पूरे विधि विधान के साथ उसे खोला गया. तहखाने को खोलने गई टीम को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. जब ताले की चाबी नहीं मिली तो गैस कटर से उसे काटा गया. अंदर एक सांप मिला.. सांप को डिब्बे में बंद कर दिया गया. इससे पहले 1971 तहखाना खोला गया था, तब से यह सील था. सुप्रीम कोर्ट की ओर से तहखाना खोलने के लिए 11 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई है. इसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार, सिविल जज जूनियर डिवीजन के निर्देशन शिप्रा दुबे, नगर सिटी मजिस्ट्रेट, सीओ सिटी, मंदिर के लेखा अधिकारी के अलावा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अपर पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, बांके बिहारी मंदिर के चार गोस्वामी शामिल हैं.
बांके बिहारी मंदिर के 54 साल बाद खुले तोषखाने में एक खाली लकड़ी का बक्सा मिला। यह बक्सा और कुछ अन्य चीजें, जैसे कि कुछ बर्तन, एक चांदी का छत्र और गहनों के खाली डिब्बे, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक समिति की निगरानी में खोले गए खजाने में मिली हैं।
खजाना खोलने की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी की देखरेख में मंदिर के तोषखाने (खजाना कक्ष) को खोला गया।
क्या मिला
एक खाली लकड़ी का बक्सा।
कुछ बर्तन।
एक छोटा चांदी का छत्र।
कुछ गहनों के खाली डिब्बे।
अन्य सामग्री
इस तहखाने में मिट्टी और सांप भी मिले थे।
एक लोहे का बक्सा भी मिला, जिसके अंदर कुछ पुराने ताले और कुछ सिक्के थे, जिन्हें बाद में फिर से सील कर दिया गया है।