
-इसबार 26 लाख 11 हजार 101 से कहीं अधिक के लक्ष्य को पूर्णकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया।
अयोध्या। अनंत आस्था के दीपों से विश्व को प्रकाशवान करने वाली प्रभु श्रीराम पावन नगरी अयोध्याधाम में नवें दीपोत्सव में पुनः विश्व का नया कीर्तिमान स्थापित करने में प्रदेश की योगी सरकार के कुशल नेतृत्व में अवध विश्वविद्यालय ने कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह के निर्देशन में विश्वविद्यालय ने दीपोत्सव को भव्य एवं दिव्य बनाने के लिए कुल 21 समितियों का गठन किया गया। इसमे समन्वय समिति अध्यक्ष कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह एवं पदाधिकारियों में कुलसचिव विनय कुमार सिंह, वित्त अधिकारी पूर्णेन्दु शुक्ल, उपकुलसचिव एवं सहायक अभियंता को बनाया गया।

अनुशासन समिति का संयोजक एवं दीपोत्सव नोडल अधिकारी प्रो. एसएस मिश्र सुरक्षा एवं पार्किंग समिति का दायित्व प्रो शैलेंद्र कुमार वर्मा, दीपोत्सव में सामग्री वितरण समिति के लिए प्रो. सिद्धार्थ शुक्ला, दीप गणना समिति के लिए प्रो नीलम पाठक, यातायात समिति का प्रो. अनूप कुमार, स्वच्छता समिति के डॉ. विनोद कुमार चौधरी, फोटोग्राफी समिति में डॉ. विजयेंदु चतुर्वेदी एवं डॉ. राज नारायण पांडेय, त्वरित कार्यवाही बल समिति में प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव, प्राथमिक चिकित्सा समिति में प्रो. फर्रुख जमाल, साजसज्जा रंगोली समिति के प्रो आशुतोष सिन्हा, पर्यवेक्षक समिति के प्रो केके वर्मा, अग्निशमन समिति प्रो शैलेंद्र कुमार, समग्र नियंत्रण समिति सी के मिश्र, कार्यालय समिति डॉ. त्रिलोकी यादव, वालंटियर आई कार्ड समिति प्रो शैलेंद्र कुमार, इंस्टीट्यूशनल कोऑर्डिनेटर समिति प्रो संग्राम सिंह, प्रशिक्षण समिति प्रो शैलेंद्र कुमार वर्मा, सामग्री प्राप्ति स्टोरेज समिति एवं घाट चिन्हांकन समिति के डॉ. रंजन सिंह सभी समितियां के पदेन अध्यक्ष कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह हैं।
दीपोत्सव की विश्व कीर्तिमान स्थापना में तीन हजार से अधिक समन्वयक एवं घाट प्रभारी को तैनात किया गया। कुल 56 घाटों पर 32 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने पूरे विश्व में कीर्तिमान स्थापित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। घाट संख्या एक से लेकर सात तक का दीप प्रज्वलन दायित्व साकेत महाविद्यालय अयोध्या को सौंपा गया है।
दीपोत्सव स्थल का सघन निरीक्षण कर कुलपति डॉ. सिंह ने कहा कि अयोध्या विश्व की प्राचीन सांस्कृतिक नगरी है। दीपोत्सव के इस सफल आयोजन से इसकी आभा विश्व पटल पर स्थापित होगी।
घाट संख्या 10 पर शुभता का प्रतीक रंगोली के रूप में तैयार किया गया स्वास्तिक सांस्कृतिक छटा बिखेर रहा है। अयोध्या की आध्यात्मिक गौरव गाथा का गान कर रहा हो। इसे फाइन आर्ट की 50 छात्राओं से अधिक स्वयंसेवकों ने फाइन आर्ट विभाग की शिक्षिकाओं के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है। दीप प्रज्वलन के लिए दोपहर से ही स्वयंसेवकों द्वारा दीपों में बाती और तेल भरने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया था।
इस तपती धूप में स्वयंसेवकों ने अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के स्वागत में कोई कसर न रह जाए यही भावना उन्हें अपने कर्तव्य मार्ग पर अडिग किए हुए है। सांस्कृतिक अयोध्या नगरी की आभा प्रकाश पुंज होकर वैश्विक पटल पर दीपमान हो। यही लक्ष्य प्रदेश सरकार, विश्वविद्यालय और स्वयंसेवकों का है। दीपोत्सव स्थल के घाटों की मॉनिटरिंग का कार्य कर रही समिति के सदस्यों दीप गणना से लेकर मानकों के अनुरूप दीप लगाने के पैटर्न को सूक्ष्मता से परख कर तैयार कराया गया आखिर जो कीर्तिमान बना है।
त्रेता युग से अब तक की साक्षी रही पुण्य सलिला सरयू मानो दीपोत्सव की आभा को कल-कल करती निहार रही हो। एक और विश्व रिकॉर्ड सरयू मां की आरती का भी बना। कदम कदम पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों की सहायता से दीपोत्सव नियंत्रण कक्ष जय श्रीराम की जय घोष के साथ स्वयंसेवकों को निर्देशित किया जाता रहा। स्वयंसेवकों का जन सैलाब धीरे-धीरे अपनी लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। 26 लाख 11 हजार 101 से कही अधिक का लक्ष्य को पूर्णकर पुनः गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया।