वाशिंगटन। पूरी दुनिया पर अपना सैन्य दबदबा कायम रखने के लिए अमेरिका एक नई रणनीति पर काम कर रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका दुनिया भर के 80 देशों में कम से कम 750 मिलिट्री बेस पहले से ही कंट्रोल करता है, जिनमें मिलिट्री, नेवी और एयरबेस शामिल हैं। यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कभी भी सारा डेटा सार्वजनिक नहीं किया है।
अमेरिका के पास कुल 13 लाख सैनिक हैं, जिनमें से 13त्न यानी 1.72 लाख सैनिक इन 80 देशों में स्थायी रूप से तैनात हैं। अब अमेरिका दुनिया को पूरी तरह से कंट्रोल करने के लिए 4 नए और रणनीतिक रूप से बेहद अहम बेस बनाना चाहता है।
ये वो 4 ठिकाने हैं जिन पर अमेरिका की नजर है:
1. बगराम एयरबेस (अफगानिस्तान)
बगराम एयरबेस अफगानिस्तान के परवान प्रांत में है। 1980 के दशक में यह सोवियत सेना का मुख्य केंद्र था, लेकिन 9/11 हमलों के बाद 2001 में अमेरिकी सेना ने इस पर कब्ज़ा कर लिया। तालिबान के सत्ता में आने के बाद अमेरिका को यह बेस छोड़ना पड़ा था।
यह दुनिया के सबसे रणनीतिक ठिकानों में से एक है क्योंकि यह दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और पश्चिम एशिया के बीच में स्थित है। यह ईरान, पाकिस्तान, चीन के शिनजियांग प्रांत और रूस की सीमाओं के बेहद करीब है। यहां 11 हजार फीट लंबे दो रनवे हैं जो क्च-52 बॉम्बर्स जैसे विशाल विमानों को भी संभाल सकते हैं।
2. चाबहार-ग्वादर के पास (ईरान-पाकिस्तान)
ईरान के एक शीर्ष सलाहकार ने दावा किया है कि अमेरिका ईरान के चाबहार बंदरगाह और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के पास नए सैन्य अड्डे बनाने की कोशिश कर रहा है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के मकरान तट पर पासनी क्षेत्र में अमेरिका अपना एयरबेस या नेवी बेस बना सकता है।
अमेरिका की रुचि का मुख्य कारण इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति है, जो ओमान की खाड़ी के पास है और दुनिया के व्यापारिक मार्गों के लिए अहम है। इसके अलावा, चीन के ग्वादर में बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए अमेरिका यहां अपनी मौजूदगी चाहता है।
3. गाजा में मिलिट्री बेस (इजराइल)
अमेरिका इजराइल में गाजा बॉर्डर के पास एक बड़े मिलिट्री बेस की योजना बना रहा है। इस बेस में अंतरराष्ट्रीय सैनिकों को रखा जाएगा, जो कथित तौर पर गाजा पट्टी में शांति और सीजफायर बनाए रखने में मदद करेंगे।
रिपोर्टों के मुताबिक, यह बेस करीब 10 हजार सैनिकों के लिए बनाया जाएगा और इसकी लागत लगभग 500 मिलियन डॉलर (करीब 4,000 करोड़ रुपये) होगी। यह बेस 12 महीने तक चलने वाला और पूरी तरह आत्मनिर्भर होगा। विश्लेषकों का मानना है कि इस बेस से अमेरिका को ईरान पर सैन्य और राजनीतिक दबाव बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
4. दमिश्क एयरबेस (सीरिया)
हालिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिका सीरिया के दमिश्क एयरबेस पर सैनिक तैनात करने वाला है। इसका मकसद इजराइल-सीरिया सुरक्षा समझौते की निगरानी करना है। इस बेस का इस्तेमाल निगरानी, लॉजिस्टिक्स, रिफ्यूलिंग और ह्यूमैनिटेरियन ऑपरेशन के लिए किया जाएगा।
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस’ के मुताबिक, फिलहाल मिडिल ईस्ट में 19 अलग-अलग जगहों पर 40 से 50 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। अमेरिका के पहले से ही बहरीन, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में 8 मिलिट्री बेस मौजूद हैं।
