
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बंद पड़ी जेट एयरवेज (Jet Airways) के लिक्विडेशन (Liquidation) का आदेश दिया है। यानी कंपनी की परिसंपत्तियां नीलाम होकर ऋणदाताओं को दी जाएगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय प्राधिकरण (एनसीएलटी) के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें जेट एयरवेज के स्वामित्व को जालान-कलरॉक कंसोर्टियम जालान कालकॉक कंसोर्टियम (Jalan Kalrock Consortium -JKC) को हस्तांतरित करने की अनुमति थी।
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने सुनवाई के दौरान अजीबोगरीब और चिंताजनक परिस्थिति को देखते हुए लिक्विडेशन का आदेश देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया। समाधान योजना 5 साल तक लागू न होने पर कोर्ट ने फैसला दिया है। जेकेसी की ओर से भुगतान की गई 200 करोड़ रुपये की राशि जब्त कर ली गई है। साथ ही कोर्ट ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ को एक लिक्विडेटर नियुक्त करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि जेट एयरवेज ने वित्तीय संकट के कारण 2019 में विमानों का परिचालन बंद कर दिया। इसके बाद दिवालिया समाधान योजना के तहत 2021 में जेकेसी ने इसे बोली लगाकर खरीदा, लेकिन ऋणदाताओं ने विवाद शुरू कर दिया। मामले में एनसीएलटी ने मार्च में समाधान योजना को बरकरार रख स्वामित्व जेकेसी को सौंपने की मंजूरी दी और एयरवेज के ऋणदाताओं को कंसोर्टियम द्वारा जमा 150 करोड़ रुपये समायोजित करने को कहा। इस पर एसबीआई समेत अन्य ऋणदाता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।