रिपोर्ट : पवन कुमार रस्तोगी।
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश सबऑर्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन कमीशन (UPSSSC) द्वारा आयोजित प्रारंभिक अहर्ता परीक्षा (PET) को लेकर अभ्यर्थियों की समस्याएं एक बार फिर सामने आई हैं। सोमवार को समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों की ओर से अपर जिलाधिकारी (नगर) सत्यम मिश्र के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया। इसमें PET परीक्षा में कॉमन एवं पूर्व-घोषित कट-ऑफ निर्धारित किए जाने की मांग की गई है।

अभ्यर्थियों का कहना है कि PET एक स्क्रीनिंग/अहर्ता परीक्षा है, जिसका उद्देश्य केवल योग्य अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा (Mains) तक पहुँच देना है, न कि अंतिम चयन करना। इसके बावजूद PET परीक्षा की न्यूनतम कट-ऑफ न तो पहले से तय होती है और न ही घोषित की जाती है, जिससे चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव बना रहता है।
ज्ञापन में कहा गया है कि जब कोई नई भर्ती विज्ञप्ति जारी होती है, तब अभ्यर्थियों को यह स्पष्ट नहीं होता कि वे मुख्य परीक्षा के लिए पात्र होंगे या नहीं। परिणामस्वरूप अभ्यर्थी आवेदन शुल्क जमा कर देते हैं, लेकिन बाद में अपेक्षाकृत ऊँची कट-ऑफ घोषित होने पर बड़ी संख्या में अभ्यर्थी प्रारंभिक चरण में ही बाहर हो जाते हैं। इससे आवेदन शुल्क के साथ-साथ मुख्य परीक्षा की फीस, समय और परिश्रम की भी क्षति होती है।
अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान व्यवस्था में औसत अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को अवसर नहीं मिल पाता, जबकि केवल अत्यधिक अंक प्राप्त करने वाले सीमित अभ्यर्थियों को ही बार-बार मुख्य परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलता है। जबकि आयोग द्वारा आने वाली भर्तियों में पदों की संख्या अत्यंत कम होती है, जिससे बड़ी संख्या में योग्य लेकिन औसत अंक वाले अभ्यर्थी चयन प्रक्रिया से बाहर रह जाते हैं।
छात्रों का कहना है कि यह स्थिति गरीब, ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए और भी अन्यायपूर्ण हो जाती है, जिनके लिए आवेदन शुल्क, परीक्षा शुल्क और तैयारी का खर्च एक बड़ा आर्थिक बोझ होता है।
ज्ञापन में संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर) के उल्लंघन की बात कही गई है। अभ्यर्थियों के अनुसार पूर्व-घोषित मापदंडों के बिना चयन प्रक्रिया मनमानी प्रतीत होती है, जो प्राकृतिक न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के विपरीत है। साथ ही इससे अभ्यर्थियों की वैध अपेक्षा का भी हनन होता है।
अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती हेतु कराई जाने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) प्रणाली का उदाहरण देते हुए कहा कि उसमें न्यूनतम कट-ऑफ पहले से घोषित रहती है और उसी आधार पर आगे की भर्तियों में आवेदन किया जाता है। PET परीक्षा में भी इसी प्रकार की पारदर्शी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।
इसके साथ ही छात्रों ने यह मुद्दा भी उठाया कि आयोग द्वारा PET परीक्षा नियमित रूप से आयोजित नहीं कराई जाती, जिससे कई वर्षों तक एक ही PET स्कोर के आधार पर भर्तियां होती रहती हैं। इसका लाभ कुछ सीमित अभ्यर्थियों को ही बार-बार मिलता है, जबकि नए और प्रथम बार प्रयास करने वाले अभ्यर्थियों को अवसर नहीं मिल पाता।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि UPSSSC द्वारा अन्य भर्ती एजेंसियों (UPSC, SSC आदि) से समन्वय किए बिना परीक्षा तिथियाँ निर्धारित की जाती हैं, जिससे तिथियों के टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है और अभ्यर्थियों को मजबूरन किसी एक परीक्षा को छोड़ना पड़ता है।
अंत में अभ्यर्थियों ने मांग की कि यदि PET की कट-ऑफ पहले से घोषित कर दी जाए और PET परीक्षा नियमित रूप से आयोजित हो, तो अभ्यर्थियों को यह स्पष्ट रहेगा कि उन्हें आवेदन करना है या नहीं, उनका नाम मुख्य परीक्षा की सूची में आ सकता है या नहीं, और वे अपनी फीस, समय व मेहनत की अनावश्यक बर्बादी से बच सकेंगे।
ज्ञापन में विश्वास व्यक्त किया गया कि सरकार एवं आयोग अभ्यर्थियों की वास्तविक समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए PET परीक्षा में पूर्व-घोषित कॉमन कट-ऑफ एवं नियमित PET व्यवस्था लागू करेगा, जिससे चयन प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत, पारदर्शी और अभ्यर्थी-हितैषी बन सके।
ज्ञापन सौंपने वालों में प्रतियोगी छात्रों मोनू पांडेय, राजेश कुमार, संदीप कुमार, संदीप सिंह, हर्ष झा, सत्यम आदि उपस्थित रहे।
