
बस्ती। सहालग के सीजन में पनीर की खपत तीन गुना बढ़ गई है। हालांकि उत्पादन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। ऐसे में डिमांड के आधार पर आपूर्ति करने और चार गुना मुनाफा कमाने के लालच में मिलावट का कारोबार जोर पकड़ने लगा है।
जहां सामान्य दिनों में 08 से 10 क्विंटल पनीर की खपत थी, वहीं अब यह खपत 15 क्विंटल तक पहुंच गई है। लोकल दुकानदार 220 रुपये किलो पनीर दे रहे हैं, जिसमें मिलावट की आशंंका है। वहीं दुकानों पर पनीर 400 रुपये किलो बिक रहा है। ऐसे में मिलावटखोर पनीर में मिलावट कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
शुद्ध दूध महंगा है और उत्पादन कम है। फिर भी बाजार में दूध के साथ ही इससे निर्मित उत्पादों की भरमार हैं। रोडवेज के चंद्रकेश दुबे कहते हैं कि मिलावटी खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण रखने के लिए खाद्य सुरक्षा की टीम शहर से लेकर कस्बों तक दौड़ भाग भले ही तेज किए हुए है। मगर, इन सामग्रियों की शुद्धता पर आंख मूंदकर भरोसा कतई नहीं किया जा सकता है।
बाजार में पहुंचे धर्मेंद्र पांडे ने कहा कि धंधेबाजों के इस खेल में जिम्मेदार भी बचते-बचाते शामिल रहते हैं। यही वजह है कि छापे के दौरान कहीं रहम तो कहीं सितम का खेला चल रहा है। रहम बरसाने के बदले अलग खुशी मिलती है और सितम ढाने पर कार्रवाई की जिम्मेदारी पूरी हो रही है। इस दोनों ही खेल में जिम्मेदारों का फायदा है। अब धंधेबाज पर निर्भर है कि वह किस खांचे में खुद को सेट कर पाएगा। फिलहाल सिंथेटिक पनीर और मिलावटी मिठाई की बिक्री जोर पकड़े हैं। खासतौर पर शादी-विवाह में यह आसानी से खप जा रही है।
चार लीटर दूध में 800 ग्राम पनीर : धर्मेंद्र पांडे ने कहा कि पशुपालक के यहां शुद्ध दूध 60 रुपये लीटर मिल रहा और बाजार में खोवा 200 रुपये किलो बिक रहा है। जबकि एक लीटर शुद्ध दूध से महज 200 से 250 ग्राम खोवा तैयार होता है। इसी तरह पनीर 250 रुपये और देसी घी भी 600 रुपये किलो मिल रही है। शादी- ब्याह में इन्हीं सामग्रियों से व्यंजन भी तैयार किए जा रहे हैं। जितनी मात्रा में पनीर बिक रही है, उतने मात्रा में दूध का उत्पादन ही नहीं है। चार लीटर दूध फाड़ने पर करीब 800 ग्राम पनीर तैयार होता है। जिले में बड़ा डेयरी उद्योग अभी नहीं है, फिर भी 10 से 15 क्विंटल पनीर की खपत रोजाना हो रही है। इससे काफी हद तक स्थिति साफ है कि बिना मिलावट के दूध से बने इन उत्पादों की मांग नहीं पूरी की जा सकती है।
मिलावटी खोवे से बन रही मिठाई : विशेषज्ञों की मानें तो छोटी-बड़ी हर तरह की दुकानों पर विभिन्न तरह के मिठाई मिलावटी खोवे से बनाई जा रही है, यहां तक कि काजू की बर्फी भी मिलावटी खोवा डाल दिया जा रहा है।
मिठाई के कारीगर राजू ने बताया कि शादी-विवाह और त्योहार में बर्फी, पेड़ा, लड्डू की मांग बढ़ जाती है। मांग के अनुसार शुद्ध खोवा उपलब्ध नहीं हो पाता है। ऐसे में मिलावटी खोवा ही प्रयोग में लाना पड़ता है। शुद्धता के नाम पर कुछ मेवे के टुकड़े डाल दिए जाते हैं। काजू बर्फी भी इसी खोवे से तैयार होता है। इसे खाने के बाद देर तक मुंह में रखकर चबाना पड़ता है।
मिलावटी पनीर बनाने वाली फैक्टरी का हुआ था खुलासा : पिछले साल लगन और त्योहार के सीजन में ही 28 नवंबर 2023 को जिले में मिलावटी पनीर और अन्य दुग्ध उत्पाद बनाने वाली फैक्टरी का खुलासा हुआ था। मौके से ढाई क्विंटल तैयार पनीर, तीन क्विंटल खोवा और 900 लीटर दूध बरामद किया गया था। तत्कालीन एसडीएम सदर के नेतृत्व में छापेमारी कर यह कार्रवाई की गई थी। मगर इस बार ऐसी कोई तैयारी नहीं है।