विजयदूत समाचार पत्र का प्रकाशन 1972 में प्रारंभ हुआ और यह भारत-नेपाल सीमांचल क्षेत्रों से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में खबरों का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया। विजयदूत ने समय-समय पर अपनी पैनी और धारदार खबरों के जरिए इतिहास के कई मोड़ देखे हैं। चाहे इमरजेंसी का दौर हो या 1984 के सिख विरोधी दंगों का समय, विजयदूत ने अपने बेबाक विचारों से सत्य को उजागर किया और आम जनता के बीच लोकप्रियता हासिल की।
इसके सम्पादकीय कॉलम ने विशेष चर्चा बटोरी। 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वस्त होने के बाद, जब पूरे देश में दंगों का माहौल था, विजयदूत ने सामाजिक सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देने का प्रयास किया। इसने पाठकों को यह विश्वास दिलाया कि समाचार पत्र इस लोकतंत्र की रीढ़ हैं।
विजयदूत ने हमेशा अपनी विश्वसनीयता और पाठकों की आवाज को प्रमुखता दी। 1995 में संस्थापक एवं प्रधान सम्पादक स्व. सहदेव कुमार शुक्ल का निधन हुआ, जिसके बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र पं. संजय शुक्ल ने सम्पादन कार्य संभाला। विजयदूत का प्रकाशन बस्ती जनपद से शुरू होकर आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से हो रहा है और देश के अन्य हिस्सों में भी व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है।
आम जनता की आवाज और समस्याओं को शासन और समाज के समक्ष उजागर करने के लिए विजयदूत ने एक न्यूज पोर्टल भी लॉन्च किया है, जिसमें सहायक सम्पादक संदीप शुक्ल और वेब मैनेजर अमित कुमार गुप्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।