
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बीते दिवस विधान भवन में आयोजित मूल्य परामर्शदात्री समिति की बैठक में आगामी विपणन वर्ष 2026-27 की प्रमुख फसलों – गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर और सरसों – के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर विचार-विमर्श किया। इस बैठक में खरीफ 2025 के लिए उर्वरकों की उपलब्धता और वितरण की तैयारियों की भी गहन समीक्षा की गई।
मंत्री ने बताया कि खरीफ 2025 सीजन के लिए 59.17 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की व्यवस्था का लक्ष्य तय किया गया है। इस लक्ष्य के सापेक्ष जुलाई 2025 तक 35.40 लाख मीट्रिक टन उर्वरक पहले ही उपलब्ध कराया जा चुका है। यूरिया की 27.01 लाख मीट्रिक टन उपलब्धता में से 11.92 लाख मीट्रिक टन वितरित किया जा चुका है। डीएपी, एनपीके, एमओपी और एसएसपी जैसे अन्य प्रमुख उर्वरकों की भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
मंत्री ने बताया कि अगस्त में यूरिया की अनुमानित मांग 32.84 लाख मीट्रिक टन है जबकि उपलब्धता इससे अधिक 37.01 लाख मीट्रिक टन हो चुकी है। इसी तरह, डीएपी की मांग के मुकाबले 8.08 लाख मीट्रिक टन, एनपीके की 5.05 लाख मीट्रिक टन, एमओपी की 1.20 लाख मीट्रिक टन और एसएसपी की 4.82 लाख मीट्रिक टन की व्यवस्था कर ली गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि किसानों को समय पर और निर्धारित मूल्य पर गुणवत्तायुक्त उर्वरक सुगमता से उपलब्ध हो। इसके लिए उर्वरकों की जमाखोरी, कालाबाजारी, ओवर रेटिंग और टैगिंग जैसी अनियमितताओं पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। अब तक प्रदेशभर में 5931 निरीक्षण किए जा चुके हैं, 925 नमूने जांच के लिए लिए गए हैं, जिनमें से 580 मामलों में नोटिस जारी हुए हैं। 236 फुटकर विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित और 746 लाइसेंस निरस्त किए गए हैं। साथ ही 26 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
कृषि मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार किसानों को हर संभव सहायता देने के लिए कटिबद्ध है और यह अभियान निरंतर चलाया जाएगा ताकि उन्हें समय पर व सस्ती दरों पर उर्वरक उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में भी प्रदेश में उर्वरकों की कमी नहीं होने दी जाएगी और सभी व्यवस्थाएं पहले से सुनिश्चित की जाएंगी।