
•पहलगाम हमले को अंजाम देने वाला आतंकी संगठन टीआरएफ बना रहा नई साजिश, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
नई दिल्ली। 03 जुलाई में शुरू होने जा रही अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने गंभीर आतंकी खतरे की आशंका जताई है। भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा जारी अलर्ट में साफ तौर पर चेतावनी दी गई है कि यात्रा के दौरान लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) हमला कर सकते हैं।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकियों का संबंध भी टीआरएफ से था। खुफिया सूत्रों के मुताबिक ये आतंकी अब भी फरार हैं और पीर जंजाल के जंगलों में छिपे होने की संभावना है। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि ये आतंकी अमरनाथ यात्रा मार्ग, खासकर पहलगाम रूट पर हमला की योजना बना सकते हैं।
यह रूट अत्यंत संवेदनशील है क्योंकि प्रतिदिन लगभग 15,000 श्रद्धालु इस मार्ग से होकर अमरनाथ की पवित्र गुफा तक जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा बलों की तैनाती रणनीतिक स्तर पर की जा रही है।
सुरक्षा के लिए उठाए गए प्रमुख कदम:
जम्मू-कश्मीर को पहली बार नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया गया है। हेलीकॉप्टर सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई हैं। संपूर्ण रूट को छोटे-छोटे सुरक्षा क्षेत्रों में विभाजित कर विभिन्न एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, सीआरपीएफ महानिदेशक और इंटेलिजेंस ब्यूरो के शीर्ष अधिकारियों ने स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है।
पहलगाम हमला और उसके बाद की कार्रवाई:
22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में 4 पाकिस्तानी आतंकियों ने धार्मिक पहचान पूछकर 26 पर्यटकों पर गोलीबारी की थी। इनमें कई नवविवाहित जोड़े भी थे जो हनीमून पर आए थे।
इसके जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया था, और दोनों देशों के बीच मिसाइल और ड्रोन हमले भी हुए। अंततः 10 मई को पाकिस्तान ने युद्धविराम की पहल की।
अमरनाथ यात्रा के दौरान संभावित आतंकी हमलों की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए हरसंभव उपाय किए जा रहे हैं।