
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी आरती सिंह (SP फर्रुखाबाद) इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान तब विवादों में घिर गईं, जब कोर्ट ने उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दे दिया। यह मामला बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता को कथित तौर पर धमकाने और एक वकील को गिरफ्तार कराने से जुड़ा है
कोर्ट की सख्त नाराजगी और हिरासत का आदेश
जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान जब तथ्य सामने आए, तो खंडपीठ एसपी आरती सिंह की कार्यप्रणाली पर इतनी ज्यादा नाराज़ हो गई कि उन्होंने एसपी को तुरंत कोर्ट हिरासत में लेने का आदेश दे दिया।
कोर्ट ने एसपी आरती सिंह को तब तक अदालत में बैठाए रखा, जब तक कि गिरफ्तार किए गए वकील रिहा नहीं हो गए।
इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट से पक्ष रखने का समय मांगा। कोर्ट ने सुनवाई के बाद एसपी आरती सिंह को आज (बुधवार) व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का वक्त दिया है। साथ ही, कोर्ट ने एसपी समेत पूरी टीम को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। कोर्ट ने एसपी आरती सिंह की कार्यप्रणाली को ‘न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला’ करार दिया।
पूरा मामला:-
धमकाना और वकील की गिरफ्तारी
यह पूरा मामला फर्रुखाबाद की प्रीति यादव की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से जुड़ा है। प्रीति यादव ने आरोप लगाया था कि बीते 8 सितंबर की रात थाना प्रभारी अनुराग मिश्रा और सीओ सहित कुछ पुलिसकर्मी उनके घर पहुंचे और परिवार के दो सदस्यों को हिरासत में ले लिया। प्रीति ने आरोप लगाया कि एक हफ्ते तक हिरासत में रखने के बाद उनसे लिखित बयान ले लिया गया कि वह पुलिस के खिलाफ शिकायत नहीं करेंगी और न ही कोर्ट में कोई याचिका दाखिल करेंगी।
कोर्ट के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि पुलिस को शक था कि फर्रुखाबाद के वकील अवधेश मिश्र ने यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। इससे नाराज़ पुलिसकर्मियों ने 11 अक्टूबर को वकील के घर पर तोड़फोड़ की। जब वकील ने इस संबंध में कोर्ट में अर्जी दी, तो पुलिस ने सुनवाई के बाद उन्हें कोर्ट के बाहर से हिरासत में ले लिया। इस पूरे मामले में हाईकोर्ट ने एसपी की कार्यप्रणाली को न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला बताया।