

विचार मंथन: उत्तर भारत के हरियाली से आच्छादित राज्य झारखंड में अनेक प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं, जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्हीं में दुमका जिले के जरमुंडी गांव स्थित श्री बाबा बासुकीनाथ मंदिर का विशेष महत्व है। मान्यता है कि देवघर स्थित बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती जब तक भक्त बासुकीनाथ के दर्शन न कर लें। यही कारण है कि देशभर से आने वाले शिवभक्त बैद्यनाथ धाम के बाद अनिवार्य रूप से बासुकीनाथ धाम पहुंचते हैं।
फौजदारी फ़रियाद सुनते हैं बाबा

धार्मिक परंपरा के अनुसार, बाबा बैद्यनाथ जहाँ दीवानी मुकदमों की सुनवाई करते हैं, वहीं बासुकीनाथ के भोलेनाथ श्रद्धालुओं की फौजदारी फ़रियाद सुनते हैं। यही कारण है कि यहाँ भगवान शिव का स्वरूप ‘नागेश’ के रूप में पूजित है और दूध अर्पित करने वाले भक्त उनके भरपूर आशीर्वाद के अधिकारी बनते हैं।
उत्पत्ति से जुड़ी मान्यताएँ
बासुकीनाथ मंदिर की उत्पत्ति से अनेक कथाएँ जुड़ी हैं। समुद्र मंथन कथा के अनुसार, जब वासुकि नाग को मंदर पर्वत के साथ मथनी और रज्जू के रूप में उपयोग किया गया, तब वे शिव के शरणागत हुए और यहीं विराजमान हो गए।
एक अन्य कथा के अनुसार, यह मंदिर एक किसान बसु की भक्ति और आस्था से प्रतिष्ठित हुआ। उसकी गाय प्रतिदिन जिस स्थान पर दूध अर्पित करती थी, वहीं शिवलिंग प्रकट हुआ। भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया और उसी स्थल पर मंदिर की स्थापना हुई। तभी से इस धाम का नाम ‘बासुकीनाथ’ पड़ा।
श्रावणी मेला और कांवर यात्रा
श्रावण मास में आयोजित श्रावणी मेला यहाँ की आस्था का चरम रूप है। इस दौरान लाखों कांवरिये बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लाकर बाबा बैजनाथ और फिर बासुकीनाथ को अर्पित करते हैं। बिना रुके यात्रा पूरी करने वाले भक्त ‘डाक बम’ और विश्राम लेकर आने वाले ‘बोल बम’ कहलाते हैं।
मंदिर परिसर की विशेषता
बासुकीनाथ मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिर आमने-सामने बने हैं। परिसर में गणेश, कार्तिकेय, काली, अन्नपूर्णा, अंबे, तारा, छिन्नमस्तिका, हनुमान सहित अनेक देवी-देवताओं के मंदिर भी स्थापित हैं।
आस्था और आत्मशांति का केंद्र
श्री बाबा बासुकीनाथ प्राचीन काल से ही अपने भक्तों को उत्तम स्वास्थ्य और सुख का आशीर्वाद देते आए हैं। यहाँ दर्शन करने से आत्मा भीतर से शांति का अनुभव करती है। यही कारण है कि भक्तजन एक-दूसरे का अभिवादन ‘बम बासुकी’ कहकर करते हैं।
लेखक परिचय:- (लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। लेखक इस समय पितृ तर्पण चारों धाम की यात्रा पर हैं।)