
के के मिश्रा सवाददाता।
संतकबीरनगर। “अंधेर नगरी चौपट राजा”—यह कहावत जिले के विकास भवन के हालात पर बिल्कुल सटीक बैठती है। उर्दू अनुवादक के पद पर कार्यरत बाबू अशफाक अहमद का दबदबा और कार्यशैली अब जगजाहिर होती जा रही है। बसपा शासनकाल में विधायक मोहम्मद ताबिश खान द्वारा की गई शिकायत के आधार पर इन्हें हटाया गया था, लेकिन जैसे ही सपा की सत्ता में वापसी हुई, इन्हें दोबारा वापस बुला लिया गया।
तब से अब तक बाबू अशफाक विकास भवन में नाजीर के पद पर अंगद की तरह पांव जमाए हुए हैं। वर्तमान में वे डीआरडीए, तीनों विधानसभा क्षेत्रों की विधायक निधि, सोशल ऑडिट और मनरेगा योजनाओं सहित कुल पांच महत्वपूर्ण पटलों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि उन्हें कभी अपनी कुर्सी पर बैठकर कार्य करते नहीं देखा गया; बल्कि वे दिनभर कार्यालय में चहलकदमी करते और ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों व कर्मचारियों से तालमेल बिठाते नजर आते हैं।
सूत्रों के अनुसार, बाबू द्वारा अधिकारियों के नाम पर सुविधा शुल्क भी एकत्र किया जाता है, जिसमें उनका एक सहयोगी—जो विकास भवन में चपरासी के पद पर विगत 15 वर्षों से तैनात है—भी अहम भूमिका निभाता है। प्रमोशन हो जाने के बावजूद यह चपरासी लगातार विकास भवन में ही अटैच रहता है, और माना जाता है कि यह बाबू अशफाक की मेहरबानी का ही परिणाम है।।
हाल ही में हुए तबादले के दौर में भी बाबू की भूमिका स्पष्ट नजर आई। उनके सजातीय मिराज उल हक को ब्लॉक पौली और हैसर का चार्ज दिया गया, जबकि तेजतर्रार अधिकारी ऋषि सिंह को जिला स्तर से अटैच कर दिया गया। सूत्रों का दावा है कि मनरेगा से संबंधित सभी ट्रांसफर-पोस्टिंग बाबू की सहमति और निर्देशन में ही होती हैं।
बाबू अशफाक पर यह भी आरोप है कि वे जनप्रतिनिधियों के बजट में हेराफेरी करवाने में अहम भूमिका निभाते हैं। सवाल यह उठता है कि जब तबादला नीति के अनुसार तीन वर्षों के बाद पटल परिवर्तन आवश्यक होता है, तो फिर अशफाक अहमद पर यह नीति क्यों लागू नहीं होती?
क्या यह विकास भवन में अफसर-बाबू की मिलीभगत का परिणाम है? या फिर जिला प्रशासन की तबादला नीति सिर्फ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित है?
देखना यह होगा कि जिला प्रशासन अब इस पर क्या कदम उठाता है—क्या नियमों के तहत इस बाबू का तबादला अन्यत्र किया जाएगा, या फिर रसूख और नेटवर्क के सहारे वह यूं ही मलाईदार पदों पर बने रहेंगे? जैसा कि कहा गया है,
“साहब मेहरबान, तो बाबू भी पहलवान!”