नई दिल्ली। भारत को लेकर चीन का दोहरा रवैया एक बार फिर सामने आया है। एक ओर वह रिश्तों को सामान्य करने की बात करता है, वहीं दूसरी ओर सीमा के पास अपने सैन्य और बुनियादी ढांचे को आक्रामक रूप से विस्तार दे रहा है। अब चीन की नजर तिब्बत से सटे क्षेत्रों पर और ज्यादा केंद्रित हो गई है। चीन तिब्बत के पास मौजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी सैन्य स्थिति मजबूत कर रहा है। इसके लिए कनेक्टिविटी, रसद आपूर्ति और सैनिकों की तैनाती से जुड़ी सुविधाएं तेजी से बढ़ाई जा रही हैं।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कई बार तनाव बढ़ चुका है। 2017 के डोकलाम संघर्ष और 2020 की गलवान झड़प के बाद संबंधों में सुधार की उम्मीदें जताई जाती रही हैं, लेकिन सीमा पर चीन की बढ़ती गतिविधियां इन दावों पर सवाल खड़े कर रही हैं।
चीन ने तिब्बत में 4300 मीटर की ऊंचाई पर एक मानवरहित हवाई वाहन (UAV) परीक्षण केंद्र स्थापित किया है, जो चीनी सैनिकों को कठिन परिस्थितियों में सैन्य अभियान चलाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा तिब्बत में 720 मीटर लंबे रनवे वाला एक नया सैन्य अड्डा भी बनाया गया है, जिसमें चार हैंगर समेत कई आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं। यह अड्डा चीनी सेना के लिए महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक हब की तरह काम करेगा।
तिब्बत में विकास के नाम पर चीन ने अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना में 30 अरब अमेरिकी डॉलर का बजट जारी किया था। चीनी रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में तिब्बत का हाईवे नेटवर्क दोगुना किया गया है और कई सरकारी परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। रेल नेटवर्क भी लगातार मजबूत किया जा रहा है।
चीन सिर्फ भारतीय सीमा पर ही नहीं, बल्कि दक्षिण चीन सागर में भी तेजी से विस्तार कर रहा है। वहां उसने अपना पहला आर्टिफिशियल आइलैंड तैयार किया है, जिसे लेकर अमेरिका समेत कई देशों की चिंता बढ़ गई है।
