
आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी
विचार मंथन: जबसे भगवान श्रीराम अयोध्या में अपने भव्य मंदिर में विराजे हैं, राम नगरी के इस शहर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। बढ़ती भीड़ और सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई परियोजनाओं की शुरुआत की है।
अयोध्या आज देश और दुनिया का बड़ा आध्यात्मिक केंद्र बन चुकी है। राम मंदिर निर्माण के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस स्थिति में प्रशासन ऐसे सभी प्रोजेक्टों पर काम कर रहा है जो शहर को सुव्यवस्थित, आकर्षक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाएं।आज हम अयोध्या में विकसित हो रहे लक्ष्मण पथ, पंचवटी द्वीप और पीपा पुल की परिकल्पना को साकार होते देख रहे हैं।

1.लक्ष्मण पथ का निर्माण
लक्ष्मण पथ अयोध्या में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाया जा रहा एक नया चार-लेन वाला वैकल्पिक मार्ग है। यह लगभग 12 किलोमीटर लंबा होगा और इसकी लागत लगभग ₹200 करोड़ है। इस मार्ग का उद्देश्य गुप्तारघाट से राजघाट तक कनेक्टिविटी में सुधार करना है, जिससे अयोध्या में यातायात प्रबंधन में मदद मिलेगी और अन्य प्रमुख मार्गों जैसे राम पथ, जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ और धर्म पथ के साथ एक व्यापक नेटवर्क बनेगा।
यह राम पथ, जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ, धर्म पथ जैसी अन्य परियोजनाओं और अयोध्या के लिए एक व्यापक सड़क नेटवर्क का हिस्सा हैं। इस पथ के निर्माण के साथ-साथ, भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए गुप्तार घाट, उदया पब्लिक स्कूल के सामने और राजघाट पर पार्किंग स्थलों का भी निर्माण किया जाएगा।
सरयू नदी के तटबंध की चौड़ाई पहले छह मीटर थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर सात मीटर कर दिया गया है। लक्ष्मण पथ की चौड़ाई 18 मीटर रखने का डिज़ाइन तैयार किया गया है। जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ और धर्म पथ का निर्माण पूरा करने के बाद, योगी सरकार अब लक्ष्मण पथ के निर्माण की तैयारी कर रही है। इस नए वैकल्पिक मार्ग के लिए एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसका नाम भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण के नाम पर रखा जाएगा।
2.पंचवटी द्वीप की परिकल्पना
अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) श्री निलयम रिसॉर्ट के माध्यम से सरयू के बीच 75 एकड़ में पंचवटी द्वीप का विकास कर रहा है। यह परियोजना अपने आप में अनोखी है क्योंकि इसे भगवान राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों पर आधारित थीम पर विकसित किया जा रहा है। इसमें ‘राम की जीवन यात्रा’ पर आधारित प्रस्तुतीकरण, ऋषि कॉटेज, योग एवं ध्यान केंद्र, सांस्कृतिक मंच, घुड़सवारी की व्यवस्था, एडवेंचर जोन और जैविक खेती के मॉडल स्थापित किए जा रहे हैं।
पंचवटी द्वीप को अयोध्या की विश्व-स्तरीय पर्यटन पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जा रहा है। यहां धार्मिक कार्यक्रम, सांस्कृतिक आयोजन और योग-ध्यान से जुड़े अंतरराष्ट्रीय समारोह भी आयोजित किए जा सकते हैं। पीपा पुल इसमें प्राकृतिक सौंदर्य और पारंपरिक आकर्षण दोनों का मेल जोड़ देगा। नई परियोजना में सुरक्षा और स्थायित्व पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

3.नया पीपा पुल
एक नया पीपा पुल जमथरा घाट के पास बनाया जाएगा और लक्ष्मण पथ को सरयू नदी के मध्य विकसित किए जा रहे पंचवटी द्वीप से जोड़ेगा। इससे न केवल पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी बल्कि श्रद्धालुओं के लिए पहुंच मार्ग भी अधिक सुगम और आकर्षक बनेगा। पीपा पुल पार करने का अनुभव अलग ही होता था। सरयू की धीमी-धीमी लहरों पर झूलता पुल यात्रियों के लिए रोमांच की अनुभूति कराता था। अब वही दृश्य एक आधुनिक और सुरक्षित रूप में फिर सामने आएगा। प्रशासन का मानना है कि यह नया पुल श्रद्धालुओं, पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
पीपा पुल की मजबूती बढ़ाने के लिए आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों का प्रयोग होगा। पुल पर पर्याप्त चौड़ाई, रेलिंग और रात्रिकालीन रोशनी की भी व्यवस्था प्रस्तावित है ताकि श्रद्धालु सुरक्षित तरीके से आवागमन कर सकें। अधिकारियों का कहना है कि मानसून के दौरान पुल को सुरक्षित तरीके से हटाने और पुनः स्थापित करने की योजना भी तैयार की जा रही है। इससे नदी की प्राकृतिक धारा और जलस्तर के अनुसार कार्यप्रणाली को नियंत्रित किया जा सकेगा।
सरयू की धारा पर फिर दिखेगा तैरता पुल
नई परियोजना में सुरक्षा और स्थायित्व पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पीपा पुल की मजबूती बढ़ाने के लिए आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों का प्रयोग होगा। पुल पर पर्याप्त चौड़ाई, रेलिंग और रात्रिकालीन रोशनी की भी व्यवस्था प्रस्तावित है ताकि श्रद्धालु सुरक्षित तरीके से आवागमन कर सकें। अधिकारियों का कहना है कि मानसून के दौरान पुल को सुरक्षित तरीके से हटाने और पुनः स्थापित करने की योजना भी तैयार की जा रही है। इससे नदी की प्राकृतिक धारा और जलस्तर के अनुसार कार्यप्रणाली को नियंत्रित किया जा सकेगा।
पीपा पुल का निर्माण न केवल पुराने अयोध्या की याद दिलाएगा बल्कि नए आधुनिक शहर की सूरत भी संवारने में मदद करेगा। शासन का यह कदम आस्था, इतिहास और पर्यटन के त्रिवेणी संगम का प्रतीक माना जा रहा है।
लेखक परिचय:-
लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।
