लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस विधानमंडल दल नेता आराधना मिश्रा मोना ने भाजपा और योगी आदित्यनाथ सरकार को वंदेमातरम के नाम पर राजनीति करने और बिजली विभाग में स्मार्ट मीटर के माध्यम से जनता को महंगी बिजली बेचने के लिए घेरा।
मोना ने कहा कि वंदेमातरम देश की आजादी का प्रतीक है और इसका भावनात्मक जुड़ाव हर नागरिक से है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस का इससे कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है, लेकिन आज वे वंदेमातरम के नाम पर समाज में विभाजन पैदा करना चाहते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वंदेमातरम गीत पहली बार कांग्रेस के अधिवेशन में 28 अक्टूबर 1937 को गाया गया था और इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था।
उन्होंने प्रधानमंत्री और भाजपा पर दोहरी मानसिकता का आरोप लगाते हुए कहा कि पहले 1998 में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में इसे अनिवार्य करने के बाद विरोध के चलते अधिनियम समाप्त करना पड़ा था।
सत्र के दौरान आराधना मिश्रा मोना ने बिजली विभाग में स्मार्ट मीटर के नाम पर जनता के साथ हो रही मनमानी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर के लिए वसूली की गई कीमत का विद्युत नियामक आयोग द्वारा कोई अनुमोदन नहीं लिया गया और उपभोक्ताओं की सहमति के बिना उन्हें महंगी बिजली उपलब्ध कराई जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह गरीब, विशेषकर दिहाड़ी मजदूरों के लिए असुविधाजनक और जनविरोधी है। इसके अलावा उन्होंने 2018 में 2G मीटर लगाने में हुए 959 करोड़ रुपए के खर्च का हवाला देते हुए कहा कि अब वही मीटर हटाकर 681 करोड़ रुपए के स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिसका बोझ जनता पर डाला जा रहा है।
आराधना मिश्रा मोना ने स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार की यह नीति केवल प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने और बिजली को निजीकरण की दिशा में ले जाने वाली है, जबकि आम जनता और गरीब तबके की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
उन्होंने सदन में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि उपभोक्ताओं के अधिकारों और हितों की रक्षा करना अपरिहार्य है।
इस दौरान कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि वंदेमातरम, संविधान और बिजली जैसी जनहितकारी चीजों के नाम पर राजनीति करना जनता को गुमराह करना है और भाजपा की यह नीतियाँ लोगों के भरोसे और अधिकारों के खिलाफ हैं।
