
सुल्तानपुर। जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। पिछले कुछ महीनों में लगातार दिए जा रहे विवादित वक्तव्यों ने न केवल संत समाज को चौंका दिया है, बल्कि उनके अपने अनुयायियों में भी सन्नाटा और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
कुछ समय पहले रामभद्राचार्य द्वारा प्रेमानंद महाराज पर की गई टिप्पणी में उन्हें “ज्ञान की परीक्षा देने” की चुनौती दी थी। इस कथन को संत समाज ने मर्यादाहीन और अहंकारपूर्ण बताया। वृंदावन और मथुरा के कई संतों ने इस बयान की निंदा की और कहा कि ऐसे शब्द किसी जगद्गुरु को शोभा नहीं देते।
ताजा बयान में रामभद्राचार्य महाराज ने भगवान परशुराम से जुड़ा ऐसा कथन कहा, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। ब्राह्मण समाज के कई संगठनों ने इसे “आस्था पर प्रहार” बताया है। हालांकि महाराज की टीम का कहना है कि उनके शब्दों का अर्थ तोड़ा-मरोड़ा गया है और वह किसी देवी-देवता का अपमान नहीं कर सकते।
क्या यह “उम्र का असर” या “राजनीतिक झुकाव”?
करीबी सूत्रों के मुताबिक, हाल के वर्षों में रामभद्राचार्य महाराज का भाषण और रुख पहले से अधिक तीखा हुआ है। कथाओं के मंच से वह कई बार अपने राजनीतिक मित्रों का नाम गर्व से लेते हैं, जिससे यह चर्चा भी गर्म है कि क्या संत समाज का यह रुख राजनीति के प्रभाव में आ रहा है। कुछ अनुयायियों का मानना है कि यह सब “उम्र और अनुभव की साफगोई” है, जबकि आलोचकों का कहना है कि “विनम्रता संत की सबसे बड़ी पहचान होती है। संत समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने अपील की है कि इस प्रकार के बयानों से धार्मिक एकता को आघात पहुंचता है।
उन्होंने कहा कि रामभद्राचार्य जैसे संत को संयम और शालीनता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। इस बीच उनके उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि महाराज के बयान का उद्देश्य किसी का अपमान नहीं, बल्कि धर्म की मर्यादा की रक्षा करना है। एक ओर रामभद्राचार्य महाराज के भक्त उनके ज्ञान और भाषणों के कायल हैं, तो दूसरी ओर लगातार विवादों ने उनकी छवि पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब देखना यह होगा कि महाराज आगामी कथा मंचों पर क्या रुख अपनाते हैं क्या वे विवादों को शांत करेंगे या फिर नए बयानबाजी से फिर सुर्खियों में आएंगे।
कटका क्लब ने बयान से आहत की कार्रवाई की मांग
कटका क्लब सामाजिक संस्था के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से सिटी मजिस्ट्रेट प्रीति जैन को ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा भगवान परशुराम पर दिए गए कथित आपत्तिजनक बयान के विरोध में दिया गया। संस्था के अध्यक्ष सौरभ मिश्र ’विनम्र’ ने बताया कि विजथुआ धाम में चल रही कथा के दौरान रामभद्राचार्य ने भगवान परशुराम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिससे समाज की भावनाएं आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि “भगवान परशुराम के प्रति ऐसे शब्द अस्वीकार्य हैं। वक्ता को अपने शब्दों पर नियंत्रण रखना चाहिए और सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
ज्ञापन देने वालों में शिव कुमार मिश्र, रत्नेश पाठक, विपिन शुक्ला, संतोष तिवारी समेत कई अन्य सदस्य उपस्थित रहे। संस्था ने जिला प्रशासन से इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में कोई भी संत या वक्ता समाज की आस्था को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों का प्रयोग न करे।