
लखनऊ। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत प्रदेश में ग्रामीण सड़कों के निर्माण और नवीनीकरण के कार्य तेजी से संचालित किए जा रहे हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मार्गदर्शन में ग्रामीण इलाकों को मजबूत रोड कनेक्टिविटी से जोड़ने पर विशेष फोकस किया जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि सभी निर्माणाधीन सड़कों का नियमित निरीक्षण किया जाए और कार्य की गुणवत्ता से कोई समझौता न हो।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण (यूपीआरआरडीए) के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 के अंतर्गत 2,565 मार्गों को स्वीकृति मिली है, जिनकी कुल लंबाई 18,938.04 किलोमीटर है। इन पर ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 14,638.72 करोड़ रुपये की लागत स्वीकृत की गई है। इनमें एफडीआर तकनीक से बनने वाले 747 मार्ग शामिल हैं, जिनकी लंबाई 5,820.796 किलोमीटर और स्वीकृत लागत 5,992.71 करोड़ रुपये है। एफडीआर तकनीक वाले मार्गों में से 5,000 किलोमीटर लंबे मार्गों का सरफेसिंग सहित निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है, जबकि कुल 5,220 किलोमीटर का एफडीआर कार्य संपन्न हो चुका है।
पूर्व निर्मित सड़कों पर पीरियॉडिक रिन्यूवल का कार्य भी योजना का अहम हिस्सा है। इसके लिए भारत सरकार से प्राप्त इंसेंटिव मनी की धनराशि से प्रदेश के 62 जनपदों में 306 मार्गों पर कार्य स्वीकृत हुआ है। इनकी कुल लंबाई 1,911.304 किलोमीटर है और लागत 494.02 करोड़ रुपये तय की गई है। यह कार्य कोल्ड मिक्स, वेस्ट प्लास्टिक, सीजीबीएम और एमएसएस+ तकनीक से 30 मिमी बीसी परत बिछाकर किया जा रहा है। वर्तमान में इन मार्गों का अनुबंध संपन्न कर निर्माण प्रगति पर है।
यूपीआरआरडीए के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि अब तक वेस्ट प्लास्टिक के उपयोग से 630 किलोमीटर लंबे मार्गों का रिन्यूवल कार्य पूरा किया जा चुका है। इसमें 710 टन प्लास्टिक का पुनः उपयोग किया गया है। इस तकनीक से न केवल सड़कों की मजबूती बढ़ी है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक कचरे के निस्तारण का भी बेहतर समाधान मिल रहा है।