
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन की महत्वाकांक्षी पहल “विकसित उत्तर प्रदेश @2047 — समृद्धि का शताब्दी पर्व” के अंतर्गत गुरुवार को नगर निगम मुख्यालय में एक विशेष सम्मेलन एवं गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महापौर सुषमा खर्कवाल ने की, जिसमें कार्यकारिणी उपाध्यक्ष चरणजीत गांधी, पार्षददल के उपनेता सुशील तिवारी ‘पम्मी’, नगर आयुक्त गौरव कुमार, अपर नगर आयुक्त ललित कुमार, नम्रता सिंह सहित नगर निगम के पार्षदगण, अधिकारीगण एवं प्रबुद्धजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में महापौर सुषमा खर्कवाल ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश को वर्ष 2047 तक एक विकसित प्रदेश के रूप में स्थापित करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता पर समान रूप से कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि युवाओं को केवल शिक्षित ही नहीं बल्कि प्रशिक्षित बनाना भी जरूरी है, क्योंकि जब युवा स्किल्ड होंगे तो उन्हें रोजगार की कमी नहीं होगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में समानता लाना समय की मांग है। यदि एक रिक्शा चालक का बेटा और एक अधिकारी का बेटा एक ही स्कूल में पढ़ सके, तभी सच्चे अर्थों में समानता और विकास संभव होगा। इसके लिए शिक्षण संस्थानों की फीस को संतुलित करना पहला कदम होना चाहिए।
महापौर ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आयुष्मान कार्ड योजना के माध्यम से नि:शुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध कराना एक सराहनीय कदम है, लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आमजन के लिए इलाज और दवाइयाँ और अधिक सुलभ व सस्ती हों। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज ही विकसित समाज का आधार होता है, इसलिए जनस्वास्थ्य की दिशा में सामूहिक जिम्मेदारी और जनसहभागिता आवश्यक है।
सुषमा खर्कवाल ने नागरिकों से ईमानदारी पूर्वक टैक्स अदा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम सभी को अपने नागरिक कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हुए टैक्स जमा करना चाहिए ताकि हमारे शहर, प्रदेश और देश का विकास तीव्र गति से आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि लखनऊ को देश के विकसित नगरों की श्रेणी में शीर्ष स्थान पर लाना नगर निगम का प्राथमिक लक्ष्य है, जिसके लिए सभी नागरिकों का सहयोग अनिवार्य है।महापौर ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता के लिए स्वदेशी अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि जब हम स्वदेशी उत्पाद खरीदते हैं, तो इससे न केवल हमारी स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलता है, बल्कि कम से कम चार से पाँच लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि इस दीपावली स्वदेशी उत्पादों का उपयोग कर अपने शहर और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दें।
गोष्ठी में उपस्थित पार्षदों और जनप्रतिनिधियों ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि नगर निगम को रोजगार और कौशल विकास के लिए स्वयं अवसर पैदा करने होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि शहर में स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किए जाएँ, ताकि युवाओं को स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर मिल सकें।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी अधिकारियों, पार्षदों और नागरिक प्रतिनिधियों ने “विकसित उत्तर प्रदेश @2047” के संकल्प को सफल जनआंदोलन में बदलने का सामूहिक संकल्प लिया। सभी ने एकमत से यह विचार व्यक्त किया कि जब तक नागरिक समाज विकास की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी नहीं निभाएगा, तब तक समृद्ध और आत्मनिर्भर प्रदेश का सपना अधूरा रहेगा।
महापौर ने अंत में कहा कि लखनऊ नगर निगम का हर प्रयास इसी दिशा में है कि राजधानी लखनऊ उत्तर प्रदेश के विकसित नगरों में अग्रणी बने और “विकसित उत्तर प्रदेश @2047” का लक्ष्य एक जनसहभागिता आंदोलन के रूप में साकार हो।