
केके मिश्रा संवाददाता।
संत कबीर नगर। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। एआरटीओ कार्यालय संत कबीर नगर के बाहर की सड़क की दुर्दशा इसका बड़ा उदाहरण है। हल्की बारिश में ही यह सड़क कीचड़ और पानी से भर जाती है, जिससे वहां आने-जाने वाले वाहन स्वामियों और आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एआरटीओ की अनुपस्थिति से जनता परेशान
कार्यालय पहुंचने वाले लोग बताते हैं कि एआरटीओ मैडम के कार्यालय में बैठने का कोई निश्चित समय नहीं है। कभी वे सिद्धार्थनगर में रहती हैं तो कभी बस्ती में, और सप्ताह में किस दिन यहां बैठेंगी, यह जनता को पता ही नहीं होता।
परिवहन संबंधी कई फाइलें लंबे समय से लंबित पड़ी हैं, लेकिन अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण कार्यवाही ठप है। जनता को रोजाना कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं।
निर्देशों का उल्लंघन
सरकार ने अधिकारियों को सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक जनता की समस्याएं सुनने के लिए अपने कार्यालय में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं, लेकिन यहां इन आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अधिकारियों की उदासीनता के चलते आम आदमी की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
सड़क की दुर्दशा
आरटीओ ऑफिस से जिला मुख्यालय की दूरी अधिक नहीं है, लेकिन उसके सामने की सड़क की हालत बेहद खराब है। दोनों पटरियों पर कीचड़ और गड्ढे भरे हैं। स्थिति यह है कि थोड़ी-सी बरसात में पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका संदिग्ध
स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस समस्या पर मौन साधे हुए हैं। उनकी बेरुखी से जनता निराश है। विपक्ष भी इस मुद्दे पर कोई आवाज नहीं उठा रहा। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर क्यों जनप्रतिनिधि और अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं।
जनता को करना होगा संघर्ष
जनता का कहना है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और आम आदमी की परेशानियों का समाधान करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता तो जनता को अपने हक के लिए संघर्ष करना होगा और अधिकारियों को जवाबदेह ठहराना होगा।