
बस्ती। आर्य समाज नई बाजार द्वारा स्वामी दयानंद विद्यालय, सुरतीहट्टा में आयोजित श्रावणी उपाकर्म के चौथे दिन रात्रिकालीन कार्यक्रम में आचार्य विश्वव्रत ने कहा कि ईशोपनिषद पूर्णत: आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो आत्मज्ञान का सरल मार्ग बताता है। इसमें ईश्वर के सच्चे स्वरूप और मोक्ष प्राप्ति के साधनों का वर्णन है। विद्या-अविद्या, संभूति और विनाश की व्याख्या करते हुए इसमें बताया गया है कि सांसारिक साधनों का सदुपयोग कर ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त करना ही मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए।
स्वामी श्रद्धानंद ने कहा कि ईश्वर सबके हृदय में रहता है और मन से किए गए कर्मों को भी जानता है। उन्होंने और सुरेंद्र आर्य ने भजनों के माध्यम से लोगों को वैदिक संस्कृति से परिचित कराया।
प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने आह्वान किया कि विद्वानों से वेद और वैदिक संस्कृति का ज्ञान लेकर राष्ट्र रक्षा में सहयोग करें। श्रावणी पर्व हमें याद दिलाता है कि वैदिक संस्कृति ही सही मार्ग दिखाती है। देवव्रत आर्य ने बताया कि यह कार्यक्रम जन्माष्टमी को संपन्न होगा।