
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीते कुछ दिनों से कफ सिरप के कारण 12 बच्चों की मौत की खबर सामने आई है। एक-एक कर दम तोड़ते इन बच्चों की खबर से लोग डरे हुए हैं। वहीं अब केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। सरकार ने कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ और सर्दी की सिरप नहीं दी जानी चाहिए। डीजीएचएस (स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय) ने बाल रोगियों में कफ सिरप के इस्तेमाल करने के तरीके पर एडइवाइजरी जारी की है।
बता दें कि एमपी के छिंदवाड़ा और राजस्थान के भरतपुर व सीकर में किडनी फेल से अब तक 12 मासूमों की मौत हो चुकी है।
सरकार ने कहा, दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। आमतौर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए इनकी अनुशंसा नहीं की जाती है। किसी भी दवा के उपयोग के लिए सावधानीपूर्वक नैदानिक मूल्यांकन, कड़ी निगरानी और उचित खुराक, न्यूनतम प्रभावी अवधि और कई दवाओं के संयोजन से बचने का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टरों द्वारा निर्धारित दवाओं के पालन के बारे में जनता को भी जागरूक किया जा सकता है।
एडवाइजरी में आगे कहा गया है, 5 साल से छोटे बच्चों को भी ये दवाएं आमतौर पर नहीं दी जातीं। 5 साल से ऊपर के बच्चों को दवा तभी दी जाए जब डॉक्टर क्लिनिकल जांच करके जरूरी समझें। वो भी कम से कम मात्रा, कम समय और बिना जरूरी दवाओं के कॉम्बिनेशन के साथ।
मंत्रालय ने कहा कि बच्चों की देखभाल में पहले घरेलू और गैर-दवाइयों वाले उपाय किए जाएं, जैसे पर्याप्त पानी, आराम और सहायक देखभाल। सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है, सभी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों और नैदानिक प्रतिष्ठानों को अच्छी विनिर्माण प्रथाओं के तहत निर्मित और फार्मास्युटिकल-ग्रेड एक्सीपिएंट्स से तैयार उत्पादों की खरीद और वितरण सुनिश्चित करना होगा। देखभाल के इन मानकों को बनाए रखने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में चिकित्सकों और दवा विक्रेताओं का संवेदीकरण आवश्यक है।