
बालपुर/गोंडा।
श्रीमद् भगवद फाउंडेशन एवं नारायण बाल विद्या मंदिर समिति द्वारा आयोजित संगीतमय देवी भागवत कथा एवं रुद्र चंडी महायज्ञ का आयोजन शिवनगर सोनहरा में किया गया। कथा वाचक डॉ. कौशलेन्द्र शास्त्री ने कथा के दौरान महाभारत का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि किसी भी सौगंध या प्रतिज्ञा को सोच-समझकर लेना चाहिए, क्योंकि यह जीवन को प्रभावित कर सकती है।
उन्होंने ऋषि पाराशर और मत्स्यगंधा के प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि ऋषि पाराशर के वरदान से मत्स्यगंधा के शरीर से मछली की दुर्गंध समाप्त हो गई और वह सत्यवती के नाम से प्रसिद्ध हुई। एक दिन महाराज शांतनु ने सत्यवती को देखा और मोहित हो गए। बाद में उनके पुत्र देवव्रत ने अपने पिता शांतनु और सत्यवती के विवाह के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा ली। उन्होंने सत्यवती को यह वचन भी दिया कि उनकी संतान ही हस्तिनापुर के राजा बनेगी। देवव्रत की इस महान प्रतिज्ञा के कारण ही उन्हें “भीष्म” कहा जाने लगा।इस आयोजन में यज्ञाचार्य पंडित अतुल शास्त्री सहित राजीतराम, जयप्रकाश, सूरज, बालकदास, दिनेश, छोटू आदि उपस्थित रहे।