
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने प्रदेश के सर्वाधिक दुग्ध आपूर्तिकर्ता 63 दुग्ध उत्पादकों को गोकुल पुरस्कार और गाय के सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले 44 दुग्ध उत्पादकों को नंदबाबा पुरस्कार से सम्मानित किया। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में सभी 107 दुग्ध उत्पादकों को प्रतीक चिन्ह, प्रमाण-पत्र और पुरस्कार राशि देकर प्रोत्साहित किया गया।
इस अवसर पर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से भारतीय गोवंशीय देशी गाय के दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने पशुपालकों से दुग्ध समितियों के माध्यम से व्यवसाय करने और डेयरी उद्योग अपनाने का आह्वान किया, जिससे किसान और पशुपालक अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।
कार्यक्रम में गोकुल पुरस्कार के तहत लखनऊ दुग्ध संघ से जुड़े लखीमपुर-खीरी के वरुण सिंह को 2,30,862 लीटर दुग्ध आपूर्ति पर राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार और बरेली दुग्ध संघ के बदायूं निवासी हरविलास सिंह को 72,140 लीटर दुग्ध आपूर्ति के लिए द्वितीय पुरस्कार दिया गया। प्रथम स्थान प्राप्त दुग्ध उत्पादक को 2 लाख रुपये और द्वितीय स्थान प्राप्त को 1.50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई, जबकि अन्य चयनित उत्पादकों को 51 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई।नंदबाबा पुरस्कार के अंतर्गत रायबरेली के नरेंद्र कुमार को 14,361 लीटर दूध आपूर्ति के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला, जिसके तहत उन्हें 51 हजार रुपये की पुरस्कार राशि दी गई। अन्य पात्र दुग्ध उत्पादकों को जनपद स्तरीय पुरस्कार के रूप में 21 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई।
श्री सिंह ने बताया कि इस वर्ष सम्मानित 107 दुग्ध उत्पादकों में 36 महिलाएं शामिल हैं, जो यह दर्शाता है कि दुग्ध उत्पादन में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है। उन्होंने किसानों और पशुपालकों से दूध न देने वाली गायों को नहीं छोड़ने की अपील की और राज्य सरकार की गोवंश संरक्षण नीति के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि 15 मार्च से हाइवे और मुख्य सड़कों के किनारे घूमने वाले निराश्रित गोवंशों के गले में रेडियम पट्टी लगाने का कार्य शुरू किया जाएगा। इसके अलावा, हर जिले में अधिक से अधिक दुग्ध समितियों के गठन और देशी गाय के दूध के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी बल दिया गया।
पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव के. रविंद्र नायक ने बताया कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य है, लेकिन प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में कम है, जिसे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुग्ध विकास विभाग, स्वरोजगार बढ़ाने और दुधारू पशुपालन को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
कार्यक्रम में विशेष सचिव राम सहाय यादव, प्रभारी/समन्वय पीसीडीएफ डॉ. मनोज तिवारी, डॉ. राम सागर, श्रीमती नयनतारा, दुग्ध संघों के निर्वाचित अध्यक्षगण, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम ने पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहित करने और प्रदेश में डेयरी उद्योग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की।