
लखनऊ। लखनऊ के वजीरगंज थाना क्षेत्र में पुलिस ने बुधवार को एक फर्जी IAS अधिकारी को गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है। आरोपी के कब्जे से छह लग्जरी गाड़ियां, लैपटॉप, नकदी, फर्जी आईडी कार्ड, सचिवालय पास और लाल-नीली बत्तियों सहित भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रभारी निरीक्षक थाना वजीरगंज राजेश कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में पुलिस टीम कारगिल पार्क के पास चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान एक वाहन (UP 16 DP 2828) को रोका गया। वाहन के पीछे सीट पर बैठे व्यक्ति ने खुद को IAS अधिकारी बताकर रौब दिखाना शुरू किया और पहचान पत्र तथा विजिटिंग कार्ड पेश किए। गाड़ी में दो लाल-नीली बत्तियां भी मिलीं, जिनके बारे में पूछने पर वह व्यक्ति हड़बड़ा गया।
गहन पूछताछ में आरोपी ने अपना नाम सौरभ त्रिपाठी (36 वर्ष), पुत्र डॉ. विनोद कुमार तिवारी, निवासी नोएडा, बताया। वर्तमान में वह लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में रह रहा था। जांच में यह भी पता चला कि आरोपी ने विभिन्न वरिष्ठ अधिकारियों के नाम का हवाला देकर धमकियां दी और झूठे परिचय पत्र तथा फर्जी दस्तावेज बनाकर विभिन्न जिलों में आर्थिक लाभ कमाया।
पुलिस की जांच के दौरान आरोपी ने बताया कि उसके पास अन्य लग्जरी गाड़ियां भी हैं, जिनमें लाल-नीली बत्तियां और फर्जी सचिवालय पास लगे हुए हैं। इसके आधार पर पुलिस ने उसके आवास पर दबिश दी और वहां से पांच और लग्जरी गाड़ियां बरामद कीं। इनमें इन्नोवा क्रिस्टा, मर्सिडीज-बेंज और रेंज रोवर डिफेंडर जैसी कारें शामिल हैं। सभी गाड़ियों पर लगाए गए पास फर्जी पाए गए।
अभियुक्त के कब्जे से नकदी, मोबाइल फोन, लैपटॉप, डायरी, फर्जी आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, सचिवालय पास, विजिटिंग कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए। पुलिस ने बताया कि आरोपी लंबे समय से फर्जी IAS अधिकारी बनकर लोगों को गुमराह कर आर्थिक लाभ प्राप्त कर रहा था। इसके लिए उसने एनआईसी की फर्जी ईमेल आईडी तक बना रखी थी।
वजीरगंज पुलिस ने आरोपी सौरभ त्रिपाठी के खिलाफ मु0अ0सं0 229/2025 धारा 204/319(2)/318(4)/338/336(3)/340(2)/347(2) भा0द0सं0 व 66D आईटी एक्ट थाना वजीरगंज लखनऊ में मुकदमा दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
इस कार्रवाई में थाना वजीरगंज के प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार त्रिपाठी, वरिष्ठ उपनिरीक्षक सतीशचंद्र मिश्रा, उपनिरीक्षक रणविजय सिंह और उपनिरीक्षक कपिल चौधरी सहित पूरी पुलिस टीम शामिल रही।
पुलिस ने कहा कि आरोपी से मिली जानकारी और बरामद दस्तावेजों के आधार पर अन्य संभावित ठगी और फर्जीवाड़े की घटनाओं की भी जांच की जा रही है। इस गिरफ्तारी से राजधानी लखनऊ में फर्जी अधिकारियों और ठगों के खिलाफ पुलिस की सख्ती स्पष्ट हुई है।