
•2 कुंटल फलों से हुआ बड़े हनुमान जी का श्रृंगार, भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु
प्रयागराज। हनुमंत जन्मोत्सव के पावन अवसर पर संगम नगरी प्रयागराज भक्ति और श्रद्धा के रंगों में डूबी रही। श्री बड़े हनुमान जी महाराज के जन्मोत्सव पर आयोजित पंचदिवसीय श्री हनुमत् महायज्ञ का रविवार को वैदिक रीति-विधि से भव्य समापन हुआ। वैदिक आचार्यों के मंत्रोच्चारण, भक्तों की जयघोष और दीपों की रौशनी से पूरा परिसर आध्यात्मिक वातावरण में सराबोर हो गया।

कार्यक्रम की शुरुआत पांच दिन पहले हुई थी, जिसमें प्रतिदिन वैदिक अनुष्ठानों, यज्ञों और पूजन का आयोजन किया गया। वायु पुराण में वर्णित मान्यता के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में माता अंजना के गर्भ से भगवान शंकर ने ही हनुमान रूप में अवतार लिया था। इसी दिव्य प्रसंग की स्मृति में प्रयागराज में हर वर्ष श्रद्धापूर्वक यह जन्मोत्सव मनाया जाता है।
महायज्ञ के पंचम दिवस पर सुबह ब्रह्म बेला से ही भगवान हनुमान जी का महाभिषेक आरंभ हुआ। दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पंचामृत, गंगाजल, तीर्थजल, अष्टगंध, कुमकुम, भस्म और सुगंधित जल सहित कुल 1100 कलशों से भगवान का दिव्य अभिषेक किया गया। तत्पश्चात पंचमुखी श्रृंगी से विशेष अभिषेक सम्पन्न हुआ।
महायज्ञ के दौरान महागणपति हवन, विजय दुर्गा, शूलिनी दुर्गा, दक्षिणामूर्ति भगवान शंकर और सुदर्शन चक्र यज्ञ वैदिक परंपरा के अनुरूप सम्पन्न हुए। इसके साथ ही वास्तु पूजन और अघोर अस्त्र हवन का भी आयोजन किया गया।
समापन अवसर पर भव्य महाआरती के साथ भगवान हनुमान का श्रृंगार लगभग डेढ़ से दो क्विंटल फलों से किया गया। जब मंदिर के पट भक्तों के लिए खोले गए, तो “जय श्रीराम” और “ओम नमो नारायण” के जयघोष से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा। श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन कर पुष्प, दीप और मालाएं अर्पित कीं।