
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग (लघु सिंचाई) के कार्यों की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संकट आज हमारी सामूहिक चिंता का विषय बन चुका है और इसके समाधान के लिए जनभागीदारी अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप न केवल वर्षा जल को रोकने का माध्यम हैं, बल्कि यह समेकित जल प्रबंधन की एक किफायती और प्रभावी पद्धति है।
मुख्यमंत्री ने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान की तर्ज पर चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप के निर्माण और जीर्णोद्धार को जनांदोलन के रूप में आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय और बरसाती नदी-नालों पर 6,448 चेकडैमों का निर्माण किया जा चुका है। प्रत्येक चेकडैम से औसतन 20 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित हुई है, जिससे कुल 1,28,960 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई की नई संभावनाएँ सृजित हुई हैं। इन प्रयासों से प्रतिवर्ष लगभग 10 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल रिचार्ज हो रहा है और प्रदेश के किसान वर्ष में दो से तीन फसलें लेने में सक्षम हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षा जल संचयन और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग की दिशा में प्रदेश सरकार निरंतर कार्य कर रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैमों की डी-सिल्टिंग और मरम्मत कर उनकी क्षमता में वृद्धि की गई है। इसी क्रम में प्रदेश के 16,610 तालाबों में से 1,343 तालाबों का पुनर्विकास कराया गया है।
वहीं, वर्ष 2017 से 2025 के बीच 6,192 ब्लास्टकूपों के माध्यम से 18,576 हेक्टेयर सिंचन क्षमता विकसित की गई है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रत्येक वर्ष वर्षाकाल से पूर्व यानी 1 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाबों से निःशुल्क मिट्टी निकालने की अनुमति दी जाए, ताकि तालाब वर्षा जल संचयन के लिए तैयार हो सकें। बरसात के बाद इन तालाबों का उपयोग मत्स्य पालन और सिंघाड़ा उत्पादन में किया जाए, जिससे ग्रामीण स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित हो सकें।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। यह कदम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए निर्णायक साबित होगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण को लेकर जो प्रयास जारी हैं, उनके परिणाम अब दिखने लगे हैं। वर्ष 2017 तक 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे, जो घटकर वर्ष 2024 में 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं — यह स्थिति अत्यंत संतोषजनक है।
मुख्यमंत्री ने इस दिशा में और तेजी लाने का निर्देश देते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास किया जाए।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जैसे “एक पेड़ मां के नाम” अभियान ने वृक्षारोपण को जनांदोलन बनाया, उसी प्रकार चेकडैम, तालाब और ब्लास्टकूप निर्माण को भी सामूहिक प्रयासों से बड़े स्तर पर संचालित किया जाए। यह न केवल जल संकट से निपटने में मददगार होगा, बल्कि कृषि, मत्स्य पालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।
उन्होंने निर्देशित किया कि प्रत्येक जनपद में तालाबों, ब्लास्टकूपों और चेकडैमों का फोटोग्राफिक डॉक्यूमेंटेशन कराया जाए और जनता को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया, स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं जन अभियानों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण और भूजल रिचार्जिंग के प्रति सरकार का संकल्प अटल है। यह केवल प्रशासनिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज की भागीदारी से संचालित एक सतत आंदोलन है, जो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश को जल संकट से मुक्त करने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक मिसाल स्थापित करेगा।