
प्रयागराज। मुख्तार अंसारी का छोटा बेटा उमर अंसारी 27 दिन बाद जेल से बाहर आएगा। शुक्रवार को मां के फर्जी साइन मामले में उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। उमर अंसारी इस समय कासगंज जेल में बंद है। उसे 3 अगस्त को पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया था।
इसके बाद उसे गाजीपुर जेल में रखा गया था। 23 अगस्त को पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर अचानक उसकी जेल बदल दी। उमर को गाजीपुर से 673 किमी दूर कासगंज भेजा गया था। करीब 11 घंटे बाद वहां पहुंचा।
मामला मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में दर्ज मुकदमे से जुड़ा है। इसमें पुलिस ने 10 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी कुर्क की थी, जिसे छुड़ाने के लिए कोर्ट में अपील दाखिल की गई। इस मामले में अफसां अंसारी की तरफ से प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था। कोर्ट ने इस पर शासकीय अधिवक्ता से रिपोर्ट मांगी। शासकीय अधिवक्ता ने 11 जुलाई 2025 को संबंधित दस्तावेजों की जांच की। इसमें पता चला कि याचिका के साथ लगे दस्तावेजों पर अफसां अंसारी के हस्ताक्षर संदिग्ध हैं। मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन की पार्टनरशिप डीड पर मौजूद अफसा के हस्ताक्षर याचिका वाले दस्तावेजों से पूरी तरह अलग पाए गए।
शासकीय अधिवक्ता ने रिपोर्ट में बताया कि अफसा वर्तमान में एक लाख की इनामी है। गाजीपुर और मऊ पुलिस ने उस पर 50-50 हजार का इनाम घोषित कर रखा है। उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी है। ऐसे में उसके द्वारा सीधे अदालत में याचिका दाखिल करना संदेह से परे नहीं था।
मामले की जांच के बाद थाना मुहम्मदाबाद में उमर अंसारी और वकील लियाकत अली के खिलाफ केस दर्ज किया गया। पुलिस ने 3 अगस्त को लखनऊ से उमर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उमर और उसके वकील की जमानत के लिए परिवार ने अलग-अलग याचिका दायर की। 21 अगस्त को कोर्ट ने उमर अंसारी की और 22 अगस्त को वकील लियाकत अली की याचिका खारिज कर दी थी। लियाकत अली अभी गिरफ्तार नहीं हुआ है।