लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह गीत भारत की भक्ति और शक्ति की सामूहिक तथा शाश्वत अभिव्यक्ति का प्रतीक है। ‘वन्दे मातरम्’ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतवासियों के लिए अमर मंत्र बन गया था। विदेशी शासन की यातनाओं की परवाह किए बिना देश के प्रत्येक स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी ने इस गीत के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का प्रसार किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर देशभर में स्मरणोत्सव आयोजित करने की प्रेरणा दी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को लोक भवन में आयोजित राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ‘वन्दे मातरम्’ के सामूहिक गायन एवं स्वदेशी का संकल्प कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन किया। कार्यक्रम से पूर्व उन्होंने संस्कृति विभाग द्वारा लगाई गई राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ पर आधारित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ केवल किसी व्यक्ति, जाति, मत, मजहब, क्षेत्र या भाषा का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि यह संस्कृत और बांग्ला भाषा की सामूहिक अभिव्यक्ति को दर्शाते हुए सम्पूर्ण भारत को एक राष्ट्र की भावना से जोड़ने वाला अमर गीत है। इस गीत ने भारत की शाश्वत चेतना को जन-जन तक पहुँचाया। यह वही भाव है जो वैदिक वाक्य ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ से प्रकट होता है।
उन्होंने कहा कि जब 1905 में विदेशी शासन ने बंग-भंग का दुस्साहस किया, तब यही गीत देशवासियों को एकजुट होकर अंग्रेजी शासन के विरोध में खड़े होने की प्रेरणा बना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जब देश के क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूलते थे, तब उनके मुख से ‘वन्दे मातरम्’ का उद्घोष गूंजता था। यह गीत भारत की सामूहिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रत्येक आंदोलन और स्लोगन का हिस्सा बन गया। ‘वन्दे मातरम्’ ऐसा अमर मंत्र बना, जिसने भारतवासियों को जाति, मत और मजहब से ऊपर उठकर एकता और राष्ट्रवाद के सूत्र में बांधा। यह गीत राष्ट्र प्रथम की भावना को सशक्त बनाता है और हमें राष्ट्रमाता के प्रति समर्पण का भाव देता है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उपन्यास ‘आनंद मठ’ इस गीत का प्रेरणास्रोत रहा है। इस उपन्यास में तत्कालीन बंगाल में अकाल और अभाव से ग्रस्त जनता की पीड़ा को उकेरा गया था, जिसे बाद में सन्यासियों ने आंदोलन का स्वरूप दिया। ‘वन्दे मातरम्’ ने भारत को नई दिशा देने और सामूहिक चेतना को जाग्रत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 150 वर्षों से यह राष्ट्रगीत राष्ट्रीयता और एकता का भाव उत्पन्न करता आ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ किसी उपासना विधि या व्यक्ति विशेष का आग्रह नहीं करता, बल्कि यह हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग और समर्पित बनाता है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने भी हमें अधिकारों के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी थी। यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते हैं कि हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए, ताकि हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियाँ उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश विगत आठ वर्षों में विकास की जिन ऊंचाइयों को छू रहा है, वह कर्तव्यनिष्ठा की अभिव्यक्ति का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता पूर्व भारत में महामारी से करोड़ों लोगों की मृत्यु हुई थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान संवेदनशील नेतृत्व, प्रशासनिक प्रतिबद्धता और नागरिकों की सजगता के कारण देश ने इस संकट पर नियंत्रण पाया। शासन, प्रशासन और अल्प वेतनभोगी कार्मिकों ने हर परिस्थिति में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया, यही ‘वन्दे मातरम्’ की वास्तविक भावना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब एक शिक्षक अपने छात्र को संस्कारवान बनाता है, जवान सीमाओं पर देश की रक्षा करता है और किसान अन्न उत्पादन के माध्यम से देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है, तो वे सभी अपने-अपने कर्तव्यों के माध्यम से ‘वन्दे मातरम्’ का ही गायन कर रहे होते हैं। यही इस गीत का सच्चा अर्थ और हर नागरिक का दायित्व है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य सचिव एस.पी. गोयल, अपर मुख्य सचिव वित्त दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना संजय प्रसाद सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
