
कौशाम्बी। उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में 51 शक्तिपीठों में एक कड़ाधाम में एतिहासिक गर्दभ मेला शुरू हो गया है।इस मेले में देश के विभिन्न क्षेत्रों से व्यापारी खच्चर और घोड़े खरीदने और बेचने के लिए आते हैं। पहले दिन सबसे महंगा खच्चर राजा डेढ़ लाख रुपये में बिका। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ रहने वाले सलीम खच्चर राजा को खरीदकर ले गए।छत्तीसगढ़ से आए व्यापारी राशिद के घोड़े पवन की कीमत देने वाला कोई नहीं मिल सका।इस मेले में यूपी ही नहीं बल्कि राजस्थान,मध्य प्रदेश,पंजाब, जम्मू-कश्मीर,हरियाणा से पहले दिन व्यापारी गर्दभ (खच्चर) की खरीद फरोख्त करने के लिए आए।मेले में पशु चिकित्सा शिविर भी लगाया गया है।
मेले में आने वाले व्यापारियों का मानना है कि कड़ाधाम में लगने वाले इस मेले में जो भी व्यापारी गर्दभ को खरीदता और बेचता है,उसके घर परिवार में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती।मां शीतला का आशीर्वाद उनके परिवार पर हमेशा बना रहता है।इसी मान्यता की वजह से हर साल चैत मास में लगने वाले गर्दभ मेले में खरीदने और बेचने के लिए हजारों की संख्या में व्यापारी आते हैं।
कड़ाधाम में लगने वाले ऐतिहासिक गर्दभ मेले में कई जिलों से श्रद्धालु भी शीतला धाम पहुंचे।श्रद्धालुओं ने शीतला धाम के विभिन्न गंगा घाटों में स्नान किया और 51 शक्ति पीठ मां शीतला मंदिर पहुंचकर दर्शन पूजन किया।इसके बाद गर्दभ मेला पहुंचकर मां शीतला के वाहन को चना,घास खिलाया और दूध पिलाकर उनकी पूजा कर आशीर्वाद लिया।
मेले में सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम किया गया है।एसपी बृजेश श्रीवास्तव के निर्देश पर थानाध्यक्ष धीरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ मेला क्षेत्र में गश्त की और व्यापारियों को माइक से अपने सामान पशु की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया।
कड़ाधाम में शुक्रवार को शुरू हुए एतिहासिक गर्दभ मेला परिसर में कड़ा राजकीय पशु चिकित्सालय के चिकित्सकों ने अश्व चिकित्सा शिविर लगाया।
शिविर में मौजूद पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनिल सिंह ने बताया कि गर्दभ और घोड़े को ग्लेंडर फारसी,पेट दर्द की बीमारी का खतरा रहता है।मेले में ब्रुक इंडिया के फील्ड सहायक सुदामा प्रसाद के द्वारा पशुपालकों को गर्दभ और अश्व के रखरखाव, प्रबंधन, पशु बीमा आदि की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई।शिविर में पशु चिकित्सा अधिकारी की मौजूदगी में 35 गर्दभ का प्राथमिक उपचार और 115 गर्दभ को पेट में कीड़े की दवा निशुल्क खिलाई गई।