
•बभनी (प्रतापगढ़) के निवासी, राष्ट्र के गौरव एवं वीरता पुरस्कार प्राप्त शौर्यवीर ऑनरेरी कैप्टन देवी प्रसाद मिश्र की स्मृति में सादर समर्पित
भारत माँ के हे वरद पुत्र
यह गाथा उस शूरवीर की,
जो बभनी गांव में जन्म लिया।
शौर्य, त्याग, कर्तव्य, कृतित्व से,
जिला प्रतागढ़ को धन्य किया।
लहू का हर एक कतरा-कतरा,
भारत मां पर न्यौछावर किया।
तीन दशक थल सेना में सेवा,
तीन महायुद्ध को फतह किया।।
62, 65 और 71 के युद्ध में,
दुश्मन के सामने अड़ा रहा।
दुश्मन को धूल चटाने तक,
निज छाती ताने खड़ा रहा।
इतना ही नहीं देवी प्रसाद को,
कई वीरता पुरस्कार मिला।
जीवन के अंतिम सांस तलक,
अडिग पथिक बन सतत् चला।।
ठहरा नहीं एक पल भी वह,
जब से सेवामुक्त हुआ।
समाज सेवा की अलख जगाकर,
हम सबको सन्मार्ग दिया।।
1930 में जन्म लिया और,
28 अक्टूबर 24 को महाप्रयाण।
शूरवीर देवी प्रसाद मिश्र पर,
राष्ट्र को है सदा अभिमान।।
तुम्हारे अहसानों का कर्ज
हम कभी चुका नहीं पाएंगे,
अमर प्रयाण भले ही हुआ,
युग-युग तक गाए जाएंगे।।
मैं नमन करूं वंदन करूं,
करूं तुम्हारा नित सम्मान।
आज धरा पर गूँज रहा,
देवी प्रसाद का गौरवगान।।
हे वीर तुम्हे दे महा विदा,
धरती माता गमगीन हुई।
अपने भी याद में डूब गए,
नीलम भी शोक संतप्त हुई।।
जब तक सूरज-चंद्र रहेंगे,
गंगा में बहता रहेगा पानी!
शौर्यवीर देवी प्रसाद की,
अमर रहेगी सदा कहानी!!
नमन! नमन! हे वीर नमन!
करता है सारा राष्ट्र नमन!
भारत माँ के हे वरद पुत्र!
‘शिवम्’ का है सस्नेह नमन!!
डॉ. शिवम् तिवारी
साहित्यकार
अंतू, प्रतापगढ़ (उ. प्र.)