
-अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान संभव।
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा विश्व ओजोन दिवस का आयोजन उ. प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अयोध्या क्षेत्र के सहयोग से कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह के निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ओजोन परत के महत्व और इसके संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना रहा।
उ. प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने वर्ष 2025 के विषय फ्रॉम ग्लोबल साइंस टू एक्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ओजोन परत और जलवायु संरक्षण दोनों जुड़े हुए हैं। हमें पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए सामूहिक और सतत प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम में उपस्थित सभी सदस्यों ने मिलकर ओजोन परत के संरक्षण के लिए संकल्प लिया और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए व्यक्तिगत एवं सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रो. सिद्धार्थ शुक्ल ने कहा कि पर्यावरण की उपेक्षा के कारण ओजोन लेयर दिनोंदिन पतली होती जा रही है जो समूची मानवता के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है। ओजोन दिवस का आयोजन छात्रों और शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है। आयोजन का उद्देश्य ओजोन परत संरक्षण के लिए वैज्ञानिक और सामाजिक पहलुओं को समझना और इसे अपने जीवन में लागू कर विश्व की मानवता को बचाना है । युवा पीढ़ी की भागीदारी ही पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित कर सकती है।”
पर्यावरण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि “विश्व ओजोन दिवस हमें याद दिलाता है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान संभव है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिसके माध्यम से विश्वभर में ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले रसायनों पर नियंत्रण पाया गया।”
कार्यक्रम में विशेष वक्ता के रूप में अंटार्कटिका यात्री डॉ. रुद्र प्रताप सिंह, ने अपने विचार साझा किया। डॉ. सिंह ने अपने व्याख्यान में बताया कि “ओजोन परत पृथ्वी के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच है, जो सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से जीवन की रक्षा करती है। इसके संरक्षण के लिए हमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसे हानिकारक रसायनों के उपयोग को कम करना होगा। डॉ. सिंह ने अपने अंटार्कटिका यात्रा के अनुभव को भी साझा किया।
कहा कि वहां कैसे चरम मौसम, ठंडी परिस्थितियाँ और वायुमंडलीय प्रक्रियाएँ ओजोन परत को प्रभावित करती हैं। अंटार्कटिका में ओजोन की स्थिति और उसके परिवर्तन को देखकर वैज्ञानिकों को ओजोन संरक्षण की आवश्यकता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की महत्ता का अनुभव होता है।
छात्रों ने अपनी रचनात्मकता के माध्यम से ओजोन परत संरक्षण के संदेश के लिए पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया। विजेताओं को विभाग की ओर से सम्मानित किया गया।
डॉ. सिंह ने युवाओं को विशेष संदेश देते हुए कहा कि भविष्य की पीढ़ी को सुरक्षित बनाने के लिए हमें अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के अनुकूल आदतें अपनानी होंगी और ओजोन परत संरक्षण में योगदान देना होगा। इस आयोजन ने छात्रों, शिक्षकों और अधिकारियों को ओजोन परत के महत्व और संरक्षण के उपायों के प्रति संवेदनशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यह विश्वविद्यालय की सतत् शैक्षिक एवं सामाजिक प्रतिबद्धता का एक उत्कृष्ट उदाहरण साबित हुआ।
इस अवसर कार्यक्रम में डॉ. शाजिया, डॉ. शशिकांत शाह, डॉ. अरविंद, डॉ. संजीव श्रीवास्तव, बृजेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ओम प्रकाश सिंह, आराधना सिंह, पूजा सिंह, सुधांशु मिश्रा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र विश्वविद्यालय के बीएससी और एमएससी पर्यावरण विज्ञान, भूविज्ञान, भूभौतिकी, भूगोल के छात्र एवं अनुसंधानकर्ता ने भी भाग लिया।