
प्रयागराज। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में जनपद- न्यायालय में अधिवक्ताओं का आक्रोश दूसरे दिन भी जारी है। गुरुवार को अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार किया। उन्होंने कचहरी की सड़कों पर चैंबर का मलबा रखकर जाम लगाया। जिला अधिवक्ता संघ के आसपास सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं ने नगर निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।


प्रयागराज में नगर निगम द्वारा अधिवक्ताओं के चैंबर तोड़े जाने के बाद से शहर का प्रशासनिक माहौल गर्म है। बुधवार को शुरू हुआ यह विवाद अब उग्र रूप ले चुका है। अधिवक्ताओं ने दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रखते हुए जिला न्यायालय, डीएम कार्यालय, विकास भवन, सदर तहसील और ट्रेज़री ऑफिस के बाहर ताला जड़ दिया। इस वजह से दो दिनों से सभी प्रमुख सरकारी कार्यालयों का कार्य पूरी तरह से बाधित हो गया है।
विरोध कर रहे अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया है कि नगर निगम ने बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए उनके चैंबरों को तोड़ा, जिससे न सिर्फ आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि महत्वपूर्ण फाइलें, दस्तावेज़ और व्यक्तिगत सामान भी नष्ट हो गया। अधिवक्ताओं का कहना है कि यह कार्रवाई प्रशासनिक तानाशाही और विश्वासघात का प्रतीक है।
अधिवक्ताओं ने बताया कि नगर निगम द्वारा पहले नोटिस जारी करने की बात कही जा रही है, लेकिन उसके जवाब में वे अपर नगर आयुक्त से मिल चुके थे और ज्ञापन भी सौंपा था। इसके बावजूद कार्यवाही कर दी गई।
गौरतलब है कि अधिवक्ताओं का यह भी कहना है कि शहर में कई स्थानों पर वर्षों से अतिक्रमण है, लेकिन वहां कार्रवाई नहीं होती। निशाने पर सिर्फ अधिवक्ताओं के चैंबर क्यों आए? अब अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को शाम तक पूरा नहीं किया गया तो जिला न्यायालय में पूर्ण रूप से ताला बंदी की जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन, बार अध्यक्ष और मंत्री की होगी।
बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि बिना पूर्व सूचना वकालत चैंबर तोड़ना गैरकानूनी है। यह अधिवक्ताओं के पेशेवर अधिकारों का उल्लंघन है।
बार एसोसिएशन अध्यक्ष ने कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी और चैंबरों का पुनर्निर्माण नहीं होगा, आंदोलन जारी रहेगा। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि मांगें न मानने पर आंदोलन को व्यापक रूप दिया जाएगा।
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नियमानुसार की गई है। किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। वैकल्पिक पार्किंग और चैंबर की व्यवस्था के लिए सुझाव मांगे गए हैं। न्यायालय परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बातचीत से समाधान की कोशिशें जारी हैं, लेकिन अधिवक्ताओं का रुख अभी नरम नहीं पड़ा है।