
वाराणसी। शहर के प्रसिद्ध दालमंडी क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण की प्रक्रिया को प्रशासन ने पूरी गति दे दी है। एडीएम सिटी वाराणसी ने स्पष्ट किया कि इस योजना में किसी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी और प्रभावित लोगों को अधिक मुआवजा दिया जाएगा। स्थानीय लोगों, व्यापारियों और धार्मिक स्थलों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए प्रशासन एवं तकनीकी अधिकारियों ने अपनी रणनीतियाँ कड़ी कर ली हैं।
प्रशासन ने 187 मकानों पर नोटिस चस्पा कर तीन दिनों में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने का अल्टीमेटम जारी किया है। PWD अभियंता केके सिंह ने बताया कि सड़क को दोनों ओर से लगभग 17 मीटर तक चौड़ा किया जाएगा, तथा प्रभावितों को सर्किल रेट की दोगुनी राशि मुआवजा के रूप में दी जाएगी।
प्रशासन का कहना है कि दालमंडी में मुस्लिम समुदाय की अधिक दुकानें हैं, इस कारण लोगों को समझाने एवं सहयोग प्राप्त करने की पहल की जाएगी। इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थल और शत्रु संपत्तियाँ (संक्रमणीय परिसरों) चिन्हित की गई हैं, जिन पर भी कार्रवाई की संभावना है।
इस मार्ग चौड़ीकरण परियोजना में प्रस्तावित रोड को 17.4 मीटर चौड़ा किया जाना है जिसमें प्रत्येक ओर लगभग 3.2 मीटर फुटपाथ शामिल होंगे।
इस परियोजना का अनुमानित बजट ₹224 करोड़ रखा गया है और पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) ने 184-187 इमारतों को प्रभावित बताया है।
स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों में चिंता और विरोध उत्पन्न हो गया है। कईयों का कहना है कि मुआवजा पर्याप्त नहीं होगा और उनकी आजीविका को गंभीर हानि होगी।
मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि इस योजना के दायरे में मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। समाचारों में इस बात का जिक्र है कि लंगड़े हाफिज मस्जिद सहित कई धार्मिक इमारतों पर लाल निशान लगाए गए हैं, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ने का खतरा माना जा रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 500 दुकानों के स्वामियों ने इस परियोजना को “दूसरी सबसे बड़ी विकास परियोजना” बताया है, जबकि वे नाराज़ हैं कि मुआवजे से पहले उन पर बकाया संपत्ति कर वसूली का दायरा लागू किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया है कि स्वैच्छिक हस्तांतरण या विधिसंगत अधिग्रहण के बिना किसी भवन को गिराया नहीं जाएगा।
खास बात यह है कि यह चौड़ीकरण परियोजना काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर 4 तथा नाइसड़क मार्ग को बेहतर जोड़ने के उद्देश्य से की जा रही है। पिछले वर्षों में तीर्थयात्रियों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है और मुख्य मार्गों पर दबाव बढ़ गया है।