
लखनऊ। तुलसी सभागार ऐशबाग में प्रसिद्ध समाजसेवी संस्था वसुन्धरा एन इनिशिएटिव द्वारा आयोजित बौद्धिक विमर्श व सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आईएएस और महानिदेशक पी सी एफ डॉ चंद्रभूषण त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान में स्त्रियां सबल हुई हैं और कोई भी क्षेत्र इन्हें अनदेखा नहीं कर सकता।
मुख्य वक्ता अंतर्राष्ट्रीय विचारक डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने कहा कि भारतीय सनातन परंपरा रूढ़िवादी हो ही नहीं सकती। हमारा वेद वाक्य है, चरैवेति अर्थात आगे बढ़ो। वो भी एक समय था जब एक पिता ने अपनी पुत्री सावित्री को रथ देकर स्वयं वर चुनने हेतु विदा किया और सावित्री ने सत्यवान का स्वयं चयन किया।
कहा विदुषी गार्गी ने याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ किया। सुनीता विलियम ने स्पेश स्टेशन पर रुकने का रिकॉर्ड बना दिया। बेटियों को इनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। बलिया में चंद्रशेखर जी यदि किंग थे तो जयप्रकाश जी किंगमेकर रहे थे, उसी तरह मऊ में यदि कल्पनाथ जी किंग थे तो रामनाथ जी किंगमेकर रहे थे।
पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, चौधरी चरण सिंह, रामनरेश यादव और जनेश्वर मिश्र के मित्र और सलाहकार रामनाथ जी ने महान भोजपुरी लोक गायक बालेश्वर के लिए बहुत से लोकप्रिय गीत लिखे। यह गर्व का विषय है कि आज उनके और उनकी अर्धांगिनी शारदा देवी के नाम पर शारदा – रामनाथ कर्मयोगी सम्मान प्रदान किया जा रहा है।
समारोह में विख्यात साहित्यकार सीमा मधुरिमा की पुस्तक खूंटी पर टंगी संवेदनाएं का विमोचन हुआ तत्पश्चात अतिथिगण द्वारा कहानीकार महेन्द्र भीष्म, दार्शनिक डॉ विद्यासागर उपाध्याय, कहानीकार डॉ सुरभि सिंह, समीक्षक डॉ रिंकी पाठक, उपन्यासकार सुरेखा कुमारी और समाजसेवी दीनानाथ प्रसाद को शारदा – रामनाथ कर्मयोगी सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में भारी संख्या में महानगर के विद्वतजन उपस्थित रहे अध्यक्षता डॉ कामिनी प्रसाद और संचालन डॉ रोली ने किया। अंत में समस्त आगंतुकों के प्रति आयोजक सीमा मधुरिमा ने आभार व्यक्त किया।