
बस्ती। बनकटी ब्लाक के थरौली गाँव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को व्यासपीठ पर आसीन कथा वाचक धर्मशास्त्रचार्य कथा व्यास पंडित करण जी ने ने बताया कि कलयुग में जीव की मुक्ति का एकमात्र साधन श्रीमद भागवत है। उन्होंने श्रोताओं को गोकर्ण उपाख्यान सुनाया। इसके जरिए उनका संदेश व्यक्ति के नैतिक चरित पर जोर देना था। साथ ही भागवत कथा के महत्व को बताना था । पंडित करण जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अगर कोई मनुष्य नियमपूर्वक सातों दिन श्रवण करें तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। गोकर्ण जी ने अपने भाई धुंधकारी के आत्मकल्याण के लिए श्रीमद्भागवत कथा कराई। धुंधकारी वायु के रूप में एक बांस में बैठ गया।
उन्होंने कहा कि प्रतिदिन कथा श्रवण की, एक-एक दिन उस बांस की एक-एक गांठ टूट जाया करती थी। सातवें दिन सातों गांठ टूट गई और धुंधकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ। आकाश मार्ग से धुंधकारी को भगवान के पार्षद विमान में लेने आए। जब धुंधकारी जाने लगा तो गोकर्ण जी ने भगवान के पार्षदों से सवाल किया है भगवान के प्रिय पार्षदों कथा धुंधकारी ने अकेले नहीं श्रवण की। कथा तो यहां सभी उपस्थित श्रोताओं ने भी श्रवण की है लेकिन उनके लिए विमान क्यों नहीं आया। कथा श्रवण करने अकेले मात्र से नहीं, कथा का साथ में मनन भी करें तब मुक्ति मिलती है।
इस पर भगवान के पार्षदों ने कहा कि मुनि श्रेष्ठ गोकर्ण कथा तो सभी ने श्रवण की लेकिन धुंधकारी ने कथा श्रवण करने के पश्चात कथा का चिंतन- मनन भी किया कि आज भैया ने मुझे यह प्रसंग सुनाया आज कथा में भैया ने मुझे भगवान की सुंदर लीलाओं की कथा सुनाई।बी कथा वाचक पंडित करण जी ने कहा कि धुंधकारी दिन में कथा सुनता था और रात में भगवान की कथा का चिंतन-मनन करता था, इसलिए उसे मोक्ष प्राप्त हुआ। बांके बिहारी जी की पूजा-अर्चना का कार्य पंडित अर्जुन झा , पंडित चन्द्र भाल तिवारी, जगदम्बा प्रसाद पाण्डेय, अनिरुद्ध शुक्ल, ने पूर्ण कराया।
कथा स्थल पर पहुंचे भाजपा नेता नितेश शर्मा ने कथा व्यास पंडित करण जी का माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया. इस मौके कथा व्यास जी ने नितेश शर्मा को मिथिला की पारम्परिक पगड़ी पहना कर आशीर्वाद प्रदान किया।
कथा श्रवण मौके पर कथा यजमान जयंती देवी, राममनि पाण्डेय, देवेन्द्र पाण्डेय, अवनीश पाण्डेय, हर्ष देव, अदम्य,सुनील पाण्डेय, राकेश त्रिपाठी, विनोद पाण्डेय, राम मूर्ति मिश्र, संजीव शुक्ल, चक्रपाणि शुक्ल, शांतेश्वर, सचिन्द्र समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु व श्रोता उपस्थित थे।